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जम्मू-कश्मीर : हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के खिलाफ एनआईए स्पेशल कोर्ट ने जारी किया गैर-जमानती वारंट

जम्मू-कश्मीर के बडगाम जिले में एनआईए की विशेष अदालत ने पाकिस्तान आधारित प्रतिबंधित आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के सुप्रीमो मोहम्मद यूसुफ शाह उर्फ सैयद सलाहुद्दीन के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है

जम्मू-कश्मीर : हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के खिलाफ एनआईए स्पेशल कोर्ट ने जारी किया गैर-जमानती वारंट
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श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के बडगाम जिले में एनआईए की विशेष अदालत ने पाकिस्तान आधारित प्रतिबंधित आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के सुप्रीमो मोहम्मद यूसुफ शाह उर्फ सैयद सलाहुद्दीन के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है। अदालत ने जम्मू-कश्मीर पुलिस को निर्देश दिया है कि वह इस पुराने आतंकवाद संबंधी मामले में आरोपी को गिरफ्तार कर पेश करे।

यह मामला 2012 में बडगाम पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर नंबर 331/2012 से जुड़ा है, जिसमें यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम) की धारा 13, 18, 20, 39 और आरपीसी की धारा 506 के तहत आरोप लगाए गए हैं।

विशेष न्यायाधीश याहया फिरदौस की अदालत ने अपने आदेश में कहा कि जांच के दौरान एकत्र सामग्री से प्रथम दृष्टया सलाहुद्दीन की इन अपराधों में संलिप्तता साबित होती है। अदालत ने केस डायरी की जांच की और पाया कि आरोपी गिरफ्तारी से बच रहा है। अभियोजन पक्ष के सहायक लोक अभियोजक मोहम्मद इकबाल राथर ने आवेदन दाखिल कर वारंट जारी करने की मांग की थी।

उन्होंने बताया कि सलाहुद्दीन सीमा पार कर पाकिस्तान चला गया है और वर्तमान में वहां रह रहा है। बडगाम पुलिस स्टेशन के एसएचओ और सोइबुघ पुलिस पोस्ट के प्रभारी ने अलग-अलग प्रमाणपत्र जारी कर पुष्टि की है कि आरोपी का पता नहीं लगाया जा सका।

अदालत ने सीआरपीसी की धारा 73 का हवाला देते हुए कहा कि गैर-जमानती अपराध के आरोपी जो गिरफ्तारी से बच रहे हैं, उनके खिलाफ ऐसा वारंट जारी किया जा सकता है। चूंकि आरोपी के खिलाफ लगे अपराध यूएपीए के अंतर्गत आते हैं, इसलिए अदालत ने पुलिस को उसे गिरफ्तार करने का स्पष्ट निर्देश दिया।

रिपोर्ट के अनुसार सैयद सलाहुद्दीन, जिनका असली नाम मोहम्मद यूसुफ शाह है, बडगाम के सोइबुघ इलाके के रहने वाला है। आरोपी सीमा पार कर चुका है और वर्तमान में पाकिस्तान में रह रहा है। भारत में उसके खिलाफ कई आतंकवाद और फंडिंग के मामले दर्ज है। जुलाई 2025 में एक अन्य एनआईए अदालत ने उन्हें यूएपीए के तहत भगोड़ा घोषित किया था।


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