Top
Begin typing your search above and press return to search.

2025 में भी शांति नहीं लौटी कश्मीर में, अभी तक 116 मौतें, इनमें 25 सुरक्षाकर्मी और 42 आतंकी भी शामिल

धारा 370 हटाए जाने के साढ़े छह साल बाद भी कश्मीर रक्तरंजित है। वह शांति अभी भी दूर है जिसके प्रति दावा किया गया था कि वह धारा 370 के हटने के साथ ही लौट आएगी

2025 में भी शांति नहीं लौटी कश्मीर में, अभी तक 116 मौतें, इनमें 25 सुरक्षाकर्मी और 42 आतंकी भी शामिल
X

जम्मू। धारा 370 हटाए जाने के साढ़े छह साल बाद भी कश्मीर रक्तरंजित है। वह शांति अभी भी दूर है जिसके प्रति दावा किया गया था कि वह धारा 370 के हटने के साथ ही लौट आएगी। पर ऐसा हुआ नहीं। प्रदेश में हिंसा का दौर अभी भी जारी है। इस साल अभी तक मारे गए 116 लोगों में 42 आतंकी, 25 सुरक्षाकर्मी और 53 नागरिक शामिल हैं। बस खुशी इसी बात की है कि पिछले साल के आंकड़ों से, 30 नम्बर तक, इस साल मृतक संख्या 6 ही कम है जबकि 2025 समाप्त होने में अभी 21 दिन बाकी हैं।

इतना जरूर था कि पिछले साल 64 आतंकियों, 26 सुरक्षाकर्मियों और 34 नागरिकों की मौतें इसकी पुष्टि जरूर करती थीं कि आतंकी हिंसा से मुक्ति फिलहाल नहीं मिल पाएगी। वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर में नियमित आप्रेशन के दौरान जान गंवाने वाले तीनों सैनिकों सहित कम से कम 35 सैनिक मारे गए थे। यह संख्या इस बार कम होकर 25 पर पहुंच गई है।

यह भी सच है कि 5 अगस्त 2019 को कश्मीर में जिस अनुच्छेद 370 को हिंसा का प्रमुख कारण बताते हुए हटा दिया गया था उसके 5 साल बीत जाने के बाद भी कश्मीर को हिंसा से मुक्ति नहीं मिल पाई है। हिंसा में कमी तो है पर आज भी कश्मीर प्रतिदिन एक मौत को देखने को मजबूर है।

इसकी पुष्टि खुद सरकारी आंकड़े करते थे। सरकारी आंकड़े बताते थे कि 2019 से लेकर 14 दिसम्बर 2024 तक के अरसे में कश्मीर ने 1503 मौतें देखी हैं। इनमें हालांकि सबसे बड़ा आंकड़ा आतंकियों का ही था जिनके विरूद्ध कई तरह के आप्रेशन चला उन्हें मैदान से भाग निकलने को मजबूर किया गया लेकिन नागरिकों व सुरक्षाबलों की मौतें भी यथावत हैं। आंकड़े कहते थे कि 974 आतंकी इस अवधि में ढेर कर दिए गए। तो इसी अवधि में 293 सुरक्षाकर्मियों को शहादत देकर इस सफलता को प्राप्त करना पड़ा।

आतंकियों द्वारा नागरिकों को मारने का सिलसिला भी यथावत जारी था। हालांकि पुलिस के दावानुसार, इस अवधि में कोई भी नागरिक कानून व्यवस्था बनाए रखने की प्रक्रिया के दौरान नहीं मारा गया बल्कि इन 6 सालों में जो 289 नागरिक मारे गए उन्हें आतंकियों ने ही मार डाला। इतना जरूर था कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद आतंकियों के सबसे अधिक हमले प्रवासी नगरिकांे के साथ साथ हिन्दुओं पर भी हुए हैं। जो लगातार जारी हैं। पिछले साल पांच अगस्त की बरसी की पूर्व संध्या पर भी आतंकियों ने पुलवामा मे ग्रेनेड हमला कर एक बिहारी श्रमिक की जान ले ली थी।

अगर इन आंकड़ों पर जाएं तो कश्मीर ने प्रतिदिन औसतन एक मौत देखी है और आतंकियों व अन्य मौतों के बीच 2:1 का अनुपात रहा है। अर्थात अगर दो आतंकी मारे गए तो एक सुरक्षाकर्मी व नागरिक भी मारा गया। पहले यह अनुपात 3: 2 का था। जबकि इस अवधि में प्रदेश में 850 आतंकी वारदातें हुई हैं जिनमें कुल 1503 मौतें हुई हैं। अर्थात यह अनुपात 1ः2 का रहा है। इतना जरूर था कि 5 अगस्त की कवायद के उपरांत कश्मीर में आतंकवाद का चेहरा भी बदल गया है। अब कश्मीर हाइब्रिड आतंकियों की फौज से जूझने को मजबूर है जो सुरक्षाबलों के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो रहे हैं।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it