जम्मू कश्मीर के डाक्टरों ने बढ़ते इनफर्टिलिटी रेट पर जताई चिंता, देर से शादी और लाइफस्टाइल में बदलाव को बताया वजह
जम्मू कश्मीर के डाक्टरों ने केंद्र शासित प्रदेश में बढ़ते इनफर्टिलिटी रेट पर चिंता जताई है। उन्होंने इसके लिए देर से शादी, लाइफस्टाइल में बदलाव, मोटापा, हार्माेनल डिसआर्डर, खाने-पीने की खराब आदतें और रिप्रोडक्टिव हेल्थ और कान्ट्रासेप्शन के बारे में जागरूकता की कमी को वजह बताया है

जम्मू-कश्मीर में बढ़ती इनफर्टिलिटी के मुख्य कारण देर से शादी और लाइफस्टाइल में बदलाव
जम्मू। जम्मू कश्मीर के डाक्टरों ने केंद्र शासित प्रदेश में बढ़ते इनफर्टिलिटी रेट पर चिंता जताई है। उन्होंने इसके लिए देर से शादी, लाइफस्टाइल में बदलाव, मोटापा, हार्माेनल डिसआर्डर, खाने-पीने की खराब आदतें और रिप्रोडक्टिव हेल्थ और कान्ट्रासेप्शन के बारे में जागरूकता की कमी को वजह बताया है।
मेडिकल एक्सपर्ट्स ने कहा कि इनफर्टिलिटी, जिसे कभी इस इलाके में एक बहुत कम होने वाली मेडिकल समस्या माना जाता था, अब युवा जोड़ों, खासकर महिलाओं में तेज़ी से रिपोर्ट हो रही है, जिससे न केवल हेल्थ चौलेंज बल्कि एक बड़ी सामाजिक चिंता भी पैदा हो रही है।
डायरेक्टोरेट आफ हेल्थ सर्विसेज कश्मीर में गायनेकोलाजिस्ट डा बरजस्ता बहार बताती थीं कि देर से शादियां जम्मू कश्मीर में इनफर्टिलिटी के सबसे बड़े कारणों में से एक बनकर उभरी हैं।
वे कहती थीं कि जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, फर्टिलिटी अपने आप कम होने लगती है। महिलाओं के लिए फर्टिलिटी की सबसे अच्छी उम्र 18 से 25 साल के बीच होती है। डा बहार के बकौल, कई सोशियो-इकोनामिक वजहों से शादियां बाद में हो रही हैं, जिनमें गरीबी, बेरोजगारी, दहेज की मांग, शादी के महंगे रीति-रिवाज, लंबी पढ़ाई और घर बसाने से पहले पक्की सरकारी नौकरी का इंतज़ार करने की आम आदत शामिल है।
हालांकि अन्य डाक्टरों का कहना था कि बदलती लाइफस्टाइल ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है। डा बहार कहती थीं कि पालीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम, जो एक हार्माेनल डिसार्डर है और रिप्रोडक्टिव उम्र की महिलाओं को प्रभावित करता है, हाल के सालों में प्रदेश में तेजी से बढ़ा है।
इसी तरह से सेंट्रल कश्मीर में तैनात एक और गायनेकोलाजिस्ट, डा रक्षंदा ने प्रजनन पथ के इन्फेक्शन को इनफर्टिलिटी का एक बड़ा लेकिन अक्सर नज़रअंदाज़ किया जाने वाला कारण बताया।
वे कहती थीं कि पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज, जो महिलाओं के प्रजनन अंगों पर असर डालती है, आमतौर पर क्लैमाइडिया और गोनोरिया जैसे बिना इलाज वाले यौन संचारित इन्फेक्शन के कारण होती है। अगर समय पर इलाज न किया जाए तो बिना यौन संचारित इन्फेक्शन भी इसका कारण बन सकते हैं।
डाक्टरों ने जोर देकर कहा कि गर्भनिरोधक और प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता की कमी जम्मू कश्मीर में स्थिति को और खराब कर रही है।
इस मामले की गंभीरता आफिशियल डेटा में भी दिखती है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2019-21 के मुताबिक, जम्मू कश्मीर में भारत में सबसे कम फर्टिलिटी रेट दर्ज किया गया है। सर्वे में 2015-16 के नतीजों की तुलना में फर्टिलिटी रेट में 0.6 परसेंट की गिरावट सामने आई।
ऐसे में डाक्टरों का कहना था कि अगर समय पर कदम उठाए जाएं तो इनफर्टिलिटी को काफी हद तक रोका जा सकता है। वे लोगों, परिवारों और सरकारी संस्थाओं को शामिल करते हुए कई तरह के तरीके अपनाने की सलाह देते हैं।
डाक्टरों का कहना था कि पढ़ी-लिखी महिलाओं को, खासकर, फर्टिलिटी की बायोलाजिकल सीमाओं के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए, और कहा कि करियर प्लानिंग को रिप्रोडक्टिव हेल्थ प्लानिंग के साथ-साथ चलना चाहिए।


