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कश्मीर में चिल्लेकलां का हुआ आगमन, 40 दिन तक पड़ेगी कड़ाके की ठंड, 21-22 दिसम्बर को भयानक सर्दी

इंतजार खत्म हो गया है। कश्मीर में चिल्लेकलां (भयानक सर्दी का मौसम) का आगमन हो गया है। कश्मीरी इसके आने से पहले ही भयानक ठंड से चिल्ला रहे थे। उन्हें अब चिंता यह है कि इस बार चिल्लेकलां के 40 दिन के अरसे में कितनी भयानक सर्दी पड़ेगी

कश्मीर में चिल्लेकलां का हुआ आगमन, 40 दिन तक पड़ेगी कड़ाके की ठंड, 21-22 दिसम्बर को भयानक सर्दी
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40 दिन की भयानक सर्दी का दौर चिल्लेकलां शुरू हुआ कश्मीर में

जम्मू। इंतजार खत्म हो गया है। कश्मीर में चिल्लेकलां (भयानक सर्दी का मौसम) का आगमन हो गया है। कश्मीरी इसके आने से पहले ही भयानक ठंड से चिल्ला रहे थे। उन्हें अब चिंता यह है कि इस बार चिल्लेकलां के 40 दिन के अरसे में कितनी भयानक सर्दी पड़ेगी।

कश्मीर में 21 और 22 दिसम्बर की रात से भयानक सर्दी के मौसम की शुरूआत मानी जाती है। करीब 40 दिनों तक के मौसम को चिल्लेकलां कहा जाता है। और पिछले कई सालों से इस दिन बर्फबारी सही समय पर हो रही है। नतीजतन कुदरत का समय चक्र सुधरने के कारण कश्मीरियों की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं क्योंकि पिछले कई सालों से बर्फबारी के समय पर न होने के कारण वे चिल्लेकलां को ही भुला बैठे थे।

चिल्लेकलां करीब 40 दिनों तक चलेगा और उसके बाद चिल्ले खुर्द और फिर चिल्ले बच्चा का मौसम आएगा। अभी तक चिल्लेकलां के दौरान 1986 में कश्मीर में तापमान शून्य ये 9 डिग्री नीचे गया था जब विश्व प्रसिद्ध डल झील दूसरी बार जम गई थी। वैसे चिल्लेकलां के दौरान कश्मीर के तापमान में जो गिरावट देखी गई है उसके मुताबिक तापमान शून्य से 5 व 6 डिग्री ही नीचे जाता है।

दरअसल कश्मीरियों के लिए समय चक्र बदल गया है। माना कि आतंकी गतिविधियों से उन्हें फिलहाल पूरी तरह से निजात नहीं मिल पाई है लेकिन कुदरत के बदलते चक्र ने उनकी झोली खुशियों से भरनी आरंभ कर दी है। हालांकि समय चक्र के सुधार से कश्मीर में पानी की किल्लत और बिजली की कमी जैसी परेशानियों से निजात मिलने की उम्मीद तो जगी है।

पूर्व में चिल्लेकलां शुरू होने से पहले कश्मीरी सब्जियों को सुखा कर तथा अन्य चीजों का भंडारण कर लेते थे मगर कई सालों से मौसम चक्र के गड़बड़ रहने के कारण वे इसे भुला बैठे थे।

श्रीनगर स्थित मौसम विभाग ने कहा कि अगले हफ्ते जबरदस्त हिमपात की संभावना है। अगले 40 दिनों तक न्यूनतम और अधिकतम तापमान, दोनों में गिरावट आएगी। हिमपात और बारिश भी होगी। कुछ वर्षों के दौरान चिल्ले कलां के बजाय चिल्ले खुर्द और चिल्ले बच्चा के दौरान सबसे ज्यादा हिमपात हुआ है। इसे आप जलवायु परिवर्तन का असर भी कह सकते हैं।

हरिसा और सूखी-सब्जियां अब सारा साल ही कश्मीर में उपलब्ध रहती हैं। चिल्ले कलां में इनकी मांग बढ़ जाती है। पहले यह सर्दियों में मिलती थी। इस समय करेला, टमाटर, शलगम, गोभी, बैंगन समेत कई अन्य सब्जियां और सूखी मछली भी बाजार में आ चुकी हैं। इन्हें स्थानीय लोग गर्मियों में सूखाकर रख लेते हैं ताकि सर्दियों में जब कश्मीर का रास्ता बंद हो जाए तो इनको पकाया जाता है। गोश्त के शौकीनों के लिए हरीसा की दुकानें पूरे कश्मीर में सजने लगी हैं। हरीसा-गोश्त, चावल व मसालों के मिश्रण से तैयार होने वाला विशेष व्यंजन है। हरिसा शरीर को अंदर से गर्म रखने के साथ कैलोरी को भी बनाए रखता है।


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