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कश्मीर में सर्दियों से पहले भारतीय सेना ने उठाए कई जरूरी कदम, एलओसी पर बढ़ाई गई गश्त

जम्मू कश्मीर में सर्दियों के दौरान सुरक्षा योजना के अंतर्गत सेना ने घुसपैठ को रोकने के लिए नियंत्रण रेखा के आसपास संवेदनशील इलाकों में गश्त बढ़ा दी है। सेना ने ऊंची चोटियों, घने जंगलों और पहाड़ी दर्रों जैसे क्षेत्रों में अपनी मौजूदगी मजबूत की है जो भारी बर्फबारी के बाद आमतौर पर दुर्गम हो जाते हैं

कश्मीर में सर्दियों से पहले भारतीय सेना ने उठाए कई जरूरी कदम, एलओसी पर बढ़ाई गई गश्त
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एलओसी पर सुरक्षाबलों के लिए भारी पड़ती है सर्दियां

जम्मू। जम्मू कश्मीर में सर्दियों के दौरान सुरक्षा योजना के अंतर्गत सेना ने घुसपैठ को रोकने के लिए नियंत्रण रेखा के आसपास संवेदनशील इलाकों में गश्त बढ़ा दी है। सेना ने ऊंची चोटियों, घने जंगलों और पहाड़ी दर्रों जैसे क्षेत्रों में अपनी मौजूदगी मजबूत की है जो भारी बर्फबारी के बाद आमतौर पर दुर्गम हो जाते हैं। ठंड के मौसम में कोहरा, धुंध और लोगों की कम आवाजाही आतंकवादी गतिविधियों के लिए अनुकूल परिस्थितियां पैदा कर सकती हैं। प्रमुख रास्तों और पारंपरिक घुसपैठ गलियारों की निगरानी की जा रही है जिससे कोई भी आतंकवादी समूह ठिकाने न बना सके। घने जंगलों और नियंत्रण रेखा के आसपास के संवेदनशील क्षेत्रों में भी गश्त बढ़ा दी गई है।

पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने कश्मीर में सर्दियों से पहले कई जरूरी कदम उठाए हैं। सेना घुसपैठ रोधी तंत्र को मजबूत कर रही है, प्रमुख दर्रों को सील और सुरक्षित कर रही है और नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर बाड़ को मजबूत कर रही है। इसके साथ ही इलाके में सैनिकों की फिर से तैनाती की जा रही है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सर्दियों के शुरू होने पर सीमा पार से आतंकवादियों द्वारा घुसपैठ की कोशिशों में बढ़ोत्तरी होने की संभावना है। आतंकवादी अपनी कार्यप्रणाली में बदलाव कर रहे हैं ऐसे समाचारमिलने के बाद सुरक्षा बलों की कार्यप्रणाली में भी जरूरी बदलाव किया गया है।

सूत्रों के अनुसार, आतंकवादी अपने ठिकानों से संवाद करने से बच रहे हैं और केवल तभी ऐसा करते हैं जब वे आबादी वाले इलाकों के करीब होते हैं। एन्क्रिप्टेड संदेश भेजने के लिए पूरी तरह से विशेष एप्लिकेशन पर निर्भर रहने के बजाय, वे पकड़े जाने से बचने के लिए स्थानीय मोबाइल नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे उस नेटवर्क पर आने वाली कालों की संख्या बढ़ चुकी है। अधिकारी कहते थे कि आतंकी केवल आपातकालीन स्थिति में ही अपने ठिकानों से बाहर निकलेंगे।

सूत्रों के अनुसार, आतंकवादियों की रणनीति को देखते हुए सर्दियों में अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती की जा चुकी है। एक सूत्र ने बताया कि थर्मल इमेजर, हाई टेक कैमरे और छोटे ड्रोन जैसी अतिरिक्त तकनीकों का उपयोग करके घुसपैठ-रोधी उपायों को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि पिछले अभियानों से सीखते हुए तकनीकी खुफिया जानकारी पर निर्भर रहने के अलावा, जमीनी स्तर पर मानवीय खुफिया जानकारी जुटाने पर भी जोर दिया जा रहा है। सूत्रों ने यह भी संकेत दिया कि परिचालन आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, कुछ इकाइयों को उनके स्थायी ठिकानों से हटाकर पुनः तैनात किया गया है जिससे उच्च स्तर की सतर्कता बनाए रखी जा सके।

इसके अलावा, नियंत्रण रेखा और भीतरी इलाकों में निगरानी बढ़ाई गई है। सूत्रों ने बताया कि त्वरित प्रतिक्रिया दल की स्थापना के माध्यम से त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता विकसित की जा रही है और कामिकेज ड्रोन सहित अतिरिक्त ड्रोन का उपयोग भी किया जा रहा है। प्रभावी सूचना शेयरिंग के लिए सुरक्षा बलों और एजेंसियों के बीच समन्वय में सुधार के लिए भी प्रयास बढ़ाए गए हैं।


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