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जम्मू-कश्मीर: रियासी बस हमले से जुड़े मामले में सात स्थानों पर एनआईए की रेड

रियासी बस हमले से संबंधित मामले में शुक्रवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने जम्मू-कश्मीर में सात अलग-अलग ठिकानों पर रेड डाली। यह छापेमारी उन स्थलों पर की गई है जो हाइब्रिड आतंकवादियों और ओवर-ग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) से जुड़े हैं

जम्मू-कश्मीर: रियासी बस हमले से जुड़े मामले में सात स्थानों पर एनआईए की रेड
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श्रीनगर। रियासी बस हमले से संबंधित मामले में शुक्रवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने जम्मू-कश्मीर में सात अलग-अलग ठिकानों पर रेड डाली। यह छापेमारी उन स्थलों पर की गई है जो हाइब्रिड आतंकवादियों और ओवर-ग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) से जुड़े हैं।

एनआईए की टीम ने शुक्रवार सुबह विभिन्न स्थानों पर पहुंचकर तलाशी अभियान शुरू किया। जिस जगह पर एनआईए की ओर से छापेमारी की जा रही है, उसका संबंध हाइब्रिड आतंकवादियों और ओवर-ग्राउंड वर्कर्स से है। ओवर-ग्राउंड वर्कर्स वह लोग होते हैं जो आतंकवादियों को मदद करते हैं, लेकिन सीधे तौर पर आतंकवादी गतिविधियों में शामिल नहीं होते।

अधिकारियों ने बताया कि यह छापेमारी आतंकवादियों द्वारा रियासी बस हमले मामले में की जा रही है। एनआईए की कई टीमें आज सुबह से राजौरी और रियासी जिलों में तलाशी ले रही हैं।

बता दें कि 9 जून को आतंकवादियों ने शिवखोड़ी मंदिर से जम्मू संभाग के रियासी जिले में तीर्थयात्रियों को ले जा रही एक बस को निशाना बनाया था। यह हमला रियासी जिले के पोनी इलाके के तेरयाथ गांव में किया गया था। आरोप है कि ओजीडब्ल्यू द्वारा रसद सहायता प्रदान किए गए आतंकवादियों ने बस के चालक पर गोलियां चलाई थीं, जिसके बाद बस खाई में गिर गई थी।

पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को ले जा रही बस पर आतंकवादियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग की थी। इस नृशंस आतंकवादी हमले में नौ तीर्थयात्री मारे गए थे और 40 अन्य घायल हो गए थे। द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने हमले की जिम्मेदारी ली थी। लेकिन जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कहा कि हमला लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) आतंकी संगठन ने किया था।

टीआरएफ एक मुखौटा संगठन है जिसका उद्देश्य इन आतंकी हमलों के वास्तविक अपराधियों से सुरक्षा बलों का ध्यान हटाने के लिए आतंकी हमलों की जिम्मेदारी लेना है।

इस आतंकी हमले की जांच के सिलसिले में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कुल 50 संदिग्धों को हिरासत में लिया था। आतंकवादी हमले की जांच 17 जून को एनआईए को सौंप दी गई थी।


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