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जामिया हिंसा : एफआईआर की मांग वाली याचिका खारिज करने का पुलिस का आग्रह

दिल्ली पुलिस ने सोमवार को यहां की एक अदालत से जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों पर दिसंबर 2019 में कथित रूप से की गई कार्रवाई को लेकर पुलिस पर मामला दर्ज करने की याचिका खारिज करने का आग्रह किया।

जामिया हिंसा : एफआईआर की मांग वाली याचिका खारिज करने का पुलिस का आग्रह
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नई दिल्ली | दिल्ली पुलिस ने सोमवार को यहां की एक अदालत से जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों पर दिसंबर 2019 में कथित रूप से की गई कार्रवाई को लेकर पुलिस पर मामला दर्ज करने की याचिका खारिज करने का आग्रह किया। इसमें पुलिस ने कहा है कि सामान्य स्थिति को सुनिश्चित करने के लिए यह कार्रवाई आवश्यक थी। सोमवार को पुलिस द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में कहा गया है, "यह प्रस्तुत किया गया है कि विश्वविद्यालय परिसर के भीतर हिंसा और अंदर फंसे निर्दोष छात्रों को बचाने और परिसर में सामान्य स्थिति को सुनिश्चित करने के लिए उक्त कार्रवाई की आवश्यकता थी।"

महानगर दंडाधिकारी रजत गोयल ने आगे की सुनवाई के लिए सात अप्रैल की तारीख तय की है।

बता दें कि 15 दिसंबर, 2019 को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने कार्रवाई की थी। विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया था कि पुलिस ने "बिना अनुमति के परिसर में प्रवेश किया था और छात्रों को बर्बरता से मारा था।"

एटीआर में, पुलिस ने दावा किया कि "फंसे हुए छात्रों और दंगाइयों के बीच अंतर करना मुश्किल था, जबकि वहां लोगों के पास पेट्रोल बम पाए गए थे।"

"जामिया रजिस्ट्रार ने शिकायत की है और अन्य लोगों ने भी अपनी शिकायतों के निवारण के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय में पहले ही याचिका दायर की है, इसलिए अनुरोध है कि वर्तमान आवेदन को कृपया खारिज कर दिया जाए।"

विश्वविद्यालय प्रशासन ने अदालत में कहा था कि पुलिस पर हमले की प्राथमिकी दर्ज करने की बार-बार शिकायत करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई।

याचिका में कहा गया है, "छात्रों को बेरहमी से पीटा गया और उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया। आंसू गैस के गोले दागे गए, लाठीचार्ज किया गया। पुलिस अधिकारियों ने मुख्य पुस्तकालय के गेट को तोड़ दिया और अंदर पढ़ने वालों पर आंसू गैस के गोले दागे।"

याचिका में पुलिस पर सार्वजनिक उपद्रव पैदा करने, धार्मिक भावनाओं को अपमानित करने, हत्या के प्रयास और अतिचार और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में भारतीय दंड संहिता के तहत प्राथमिकी दर्ज करने के लिए अदालत से निर्देश देने की मांग की।


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