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राजघाट जाते जामिया छात्रों की पुलिस से धक्का-मुक्की, योगेंद्र यादव हिरासत में

नागरिकता संशोधन कानून का विरोध (सीएए) करते जामिया के छात्रों का जुलूस गुरुवार शाम महात्मा गांधी की समाधि राजघाट की ओर बढ़ रहा था

राजघाट जाते जामिया छात्रों की पुलिस से धक्का-मुक्की, योगेंद्र यादव हिरासत में
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नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून का विरोध (सीएए) करते जामिया के छात्रों का जुलूस गुरुवार शाम महात्मा गांधी की समाधि राजघाट की ओर बढ़ रहा था, दिल्ली गेट पर पुलिस ने जुलूस को रोक दिया। इसके बाद छात्रों और पुलिस के बीच जमकर धक्का-मुक्की हुई।

जुलूस के साथ स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील व जानेमाने जनाधिकार कार्यकर्ता प्रशांत भूषण भी थे, जिन्हें हिरासत में ले लिया गया। पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों को खींच-खींचकर बसों में भरा और वहां से दूर ले गई।

योगेंद्र यादव व प्रशांत भूषण राष्ट्रपिता के शहादत दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि देने जामिया विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ राजघाट जाना चाह रहे थे, लेकिन दिल्ली पुलिस ने योगेंद्र यादव समेत किसी भी प्रदर्शनकारी को दिल्ली गेट से आगे नहीं बढ़ने दिया। दिल्ली गेट पर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी इन प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए मौजूद रहे। यहां बैरिकेड लगाकर राजघाट की ओर जाने वाले रास्ते को पूरी तरह सील कर दिया गया।

जामिया के प्रदर्शनकारी छात्र लालकिले से लेकर राजघाट घाट तक मानव श्रृंखला बनाना चाहते थे। लेकिन पुलिस उन्हें जगह-जगह रोकती रही, जिस कारण वे मानव श्रृंखला बनाने में कामयाब नहीं पाए और न ही राजघाट जाकर बापू को श्रद्धांजलि दे पाए।

प्रशांत भूषण ने पुलिस की कार्रवाई को लोकतांत्रित भावनाओं के खिलाफ बताया। उन्होंने ट्वीट किया, "दिल्ली पुलिस के मुताबिक हम महात्मा गांधी को उनकी पुण्यतिथि पर याद नहीं कर सकते और राष्ट्रगान नहीं गा सकते। हमें गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि धारा 144 भी लागू नहीं थी। वहीं जामिया और जेएनयू में गुंडे बंदूक और लोहे की रॉड लहराते हैं, लेकिन उनपर पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती। क्या यही रूल ऑफ लॉ है?"

योगेंद्र यादव को दिल्ली पुलिस ने दिल्ली गेट पर उस समय हिरासत में लिया, जब वह सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ मानव श्रृंखला बना रहे थे। पुलिस इस दौरान जबरन उन्हें खींचकर बस में ले गई। हिरासत में लिए जाने पर योगेंद्र यादव ने ट्वीट कर कहा, "दिल्ली गेट मेट्रो स्टेशन पर गांधी को याद करने के कारण पुलिस ने मुझे, प्रशांत भूषण और अन्य साथियों को हिरासत में लिया गया है। गांधी तेरी याद में, गांधी तेरे साथ में, चल पड़ा है देश हमारा..वो तोड़ेंगे, हम जोड़ेंगे।"

जामिया विश्वविद्यालय के प्रदर्शनकारी छात्र 30 जनवरी को राजघाट तक एक मार्च निकालना चाहते थे। सीएए की खिलाफत कर रहे इन छात्रों ने जामिया से राजघाट तक सामूहिक पदयात्रा निकालने का ऐलान किया था। प्रदर्शनकारी छात्रों ने जैसे ही पदयात्रा शुरू की, खुद को रामभक्त बताने वाले गोपाल शर्मा नामक युवक ने पुलिस की मौजूदगी में रिवॉल्वर से उन पर गोली चला दी, जिससे एक छात्र घायल हो गया। गोली चलने की घटना और फिर पुलिस के चाक-चौबंद बंदोबस्त के चलते जामिया के छात्र राजघाट या उसके आसपास भी नहीं पहुंच सके। अधिकांश प्रदर्शनकारियों व उनके समर्थन में आए लोगों को पुलिस ने दिल्ली गेट के पास ही रोक लिया।

पुलिस द्वारा रोके जाने के विरोध में छात्रों ने यहां जमकर नारेबाजी की। जामिया विश्वविद्यालय के छात्रों ने 'दिल्ली पुलिस मुदार्बाद एनआरसी मुदार्बाद सीएए मुदार्बाद' के नारे लगाए। यहां दोपहर से बड़ी तादाद में मौजूद दिल्ली पुलिस व अर्धसैनिक बलों ने छात्रों को दिल्ली गेट से आगे नहीं बढ़ने दिया। इस दौरान छात्रों का नेतृत्व कर रहे कई लोगों को हिरासत में लिया गया और उन्हें बसों में भरकर कहीं दूर ले गई।

जामिया के छात्र साजिद ने अपना रोष जाहिर करते हुए कहा, "हम राजघाट बापू की समाधि पर जाना चाहते थे। बापू के शहादत दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करना कौन सा अपराध है, पुलिस हमें किस अपराध के लिए यहां से बसों में भरकर ले जा रही है।"


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