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जामिया में छात्रों का अनशन आठवें दिन भी जारी

केंद्रीय विश्वविद्यालय जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कुलपति तलत अहमद ने छात्रसंघ चुनाव की मांग को लेकर अनशन कर रहे छात्रोें से कल रात मुलाकात कर आंदोलन वापस लेने की अपील की

जामिया में छात्रों का अनशन आठवें दिन भी जारी
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नई दिल्ली। केंद्रीय विश्वविद्यालय जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कुलपति तलत अहमद ने छात्रसंघ चुनाव की मांग को लेकर अनशन कर रहे छात्रोें से कल रात मुलाकात कर आंदोलन वापस लेने की अपील की।

छात्र आंदोलन आज आठवें दिन भी जारी है। श्री अहमद ने कल देर रात जामिया परिसर में धरनास्थल पर पहुंचकर छात्रों से मुलाकात की। उन्होंने छात्रों से अपनी जिद को छोड़कर अनशन खत्म करने की अपील करते हुए कहा कि यह मामला अदालत में विचाराधीन है इसलिए इस पर तत्काल कोई फैसला नहीं लिया जा सकता। इससे पहले उन्होंने अनशन करने वाले छात्र मीरान हैदर से अस्पताल में जाकर मुलाकात की। मीरान की कल शाम अचानक तबियत खराब होने के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

कुलपति ने कहा कि छात्रसंघ चुनाव कराने को लेकर वह सैद्धांतिक तौर पर सहमत हैं, लेकिन अदालत में मामला विचाराधीन होने के कारण इस पर जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं किया जा सकता।

अदालत में मामला सुलझाये बिना अगर कोई निर्णय किया गया, तो वह अदालत की अवमानना होगा। उन्होंने कहा कि हम सब मिलकर कानूनी प्रक्रिया को समझेेंगे और अदालत में जो मामला है उसे खत्म कराने की कोशिश करेंगे।

कुलपति की अपील पर छात्रों के ज्वाइंट एक्शन फोरम ने आज एक बैठक कर अपने आंदोलन को जारी रखने का फैसला लिया है।
ज्वाइंट एक्शन फोरम में आइसा, एनएसयूआई, एसएफआई, सीवाईसीएस समेत विभिन्न छात्र संगठनों के कार्यकर्ता शामिल हैं।

ज्वाइंट एक्शन फोरम की एक सदस्य और समाजशास्त्र अंतिम वर्ष की छात्रा खुशबू खान ने यूनीवार्ता को बताया कि छात्रसंघ बहाली की मांगों को लेकर आंदोलन आठवें दिन भी जारी है।

अनशन पर बैठे दो छात्रों मीरान हैदर (एमफिल) और शमशेर खान गाजी (बीए अंग्रेजी) की तबीयत ज्यादा खराब होने के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है जबकि अन्य छात्र क्रमिक भूख हड़ताल कर रहे हैं। खुशबू ने बताया कि कुलपति की ओर से बातचीत का न्योता मिलने के बाद छात्रों का एक प्रतिनिधिमंडल शाम को उनसे मुलकात करेगा, जिसमें छात्रसंघ बहाली को लेकर चर्चा की जाएगी।

उन्होंने कहा कि छात्रसंघ बहाल करने के मामले अदालत में लंबित है इसलिए उस पर भी कानूनी विशेषज्ञों की राय ली जा रही है। उन्होंने कहा कि छात्रसंघ हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है और इसे बहाल करने के मामले में जामिया प्रशासन को आगे आकर पहल करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि जामिया में छात्रसंघ का चुनाव 2005 के बाद से नहीं कराया गया है और प्रशासनिक स्तर पर इस मामले में कोई पहल नहीं की गयी है, जो बेहद निराशाजनक है।

गौरतलब है कि जामिया में तकरीबन 17 हजार छात्र पढ़ते हैं, लेकिन पिछले 12 साल से यहां छात्रों की हितों और उनके अधिकारों की बात करने के कोई संगठन नहीं है। वहीं दूसरी तरफ विश्वविद्यालय में शिक्षकों और कर्मचारियों का अपना संगठन है और इन संगठनों का नियत समय पर चुनाव कराये जाते हैं।


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