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जालौन: बढ़ते तापमान और यमुना के घटते जलस्तर से बढ़ा जलसंकट

उत्तर प्रदेश में बढ़ते तापमान का नकारात्मक असर नदियों पर दिखायी देने लगा है और नदियों के जलस्तर में काफी कमी आ रही है

जालौन: बढ़ते तापमान और यमुना के घटते जलस्तर से बढ़ा जलसंकट
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जालौन । उत्तर प्रदेश में बढ़ते तापमान का नकारात्मक असर नदियों पर दिखायी देने लगा है और नदियों के जलस्तर में काफी कमी आ रही है। नदियों के किनारे बसे गांवों में भूमिगत जलस्तर भी इसी वजह से साल दर साल नीचे जा रहा है । जालौन जिले के कालपी मे यमुना नदी में जलस्तर घटने की प्रवृति साफ दिखायी देने लगी है और इसके प्रभाव में नदी किनारे बसे गांवों में कुंए और हैंडपंप साल दर साल सूखते जा रहे हैं।

केंद्रीय जल आयोग कार्यालय कालपी से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार यमुना नदी का जलस्तर विगत वर्षों की अपेक्षा काफी कम होता नजर आ रहा है जिसका सीधा असर तटीय इलाकों और यहां स्थित गांवों में दिखायी देने लगा है। कालपी में विगत 10 वर्ष पूर्व की तुलना में वाटर लेवल काफी कम हो गया तथा जलधारा का आकार भी सिकुड़ने लगा जिससे यमुना तट जी नजदीक ग्राम पंचायतों में कुआं एवं हैंडपंपों का भी वाटर लेवल प्रभावित होने लगा है। यहां ग्राम पंचायतों जिसमें नरहन,शेखपुर, गुड़ा, देवकली, हीरापुर, मदारपुर, मगरोल, मेनू पुर ,जीता और मऊ सहित दर्जनों गांव पर यमुना के घटते जलस्तर का असर देखने को मिलता है ।

नरहन निवासी जयकरण सिंह ने बताया वर्तमान में हैंड पंप का जलस्तर लगभग 10 फीट नीचे चला गया है इसी तरह देवकली निवासी मानसिंह ने बताया एक तो हैंडपंप के कारण कुएं के पानी का इस्तेमाल वैसे भी ठप हो गया है किंतु वर्तमान समय में वाटर लेवल नीचे जाने से कुएं पूरी तरह सूख गए हैं। यमुना तट के गांव के ग्रामीणों ने बताया यमुना नदी में जलधारा कम होने से हैंड पंपों से पानी निकलना बहुत कम हो गया है वहीं जलधारा सिकुड़ने से मवेशियों को पानी पिलाने के लिए घाटों से काफी दूर गरम रेत में लगभग 30 से 40 मीटर अंदर तक जलधारा के लिए जाना पड़ता है।

जलधारा सिकुड़ने का असर तटीय ग्राम पंचायतों के अलावा अन्य ग्राम पंचायतों पर भी पड़ा है कालपी कस्बे में भी यमुना नदी की जलधारा सिकुड़ने का असर पड़ा है केंद्रीय जल आयोग कार्यालय कालपी से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 10 जून 14 को वाटर लेवल 94़ 44 मीटर, 25 जून 2015 को 94़ 41 मीटर, नौ जून 2016 को 94़ 20 मीटर, 13 जून 2017 को 94़ 23 ,14 जून 2018 को 94़ 09 और 10 जून 2019 को 94़ 17 मीटर केंद्रीय जल आयोग के जानकारों के अनुसार यदि समय रहते बरसात शुरू नहीं हुई तो निश्चित रूप से यमुना नदी का वाटर लेवल और कम होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।


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