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हरियाणा चुनाव में जलेबी विवाद

हरियाणा चुनावों में कांग्रेस के मुकाबले भाजपा कमजोर नजर आ रही है

हरियाणा चुनाव में जलेबी विवाद
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हरियाणा चुनावों में कांग्रेस के मुकाबले भाजपा कमजोर नजर आ रही है। अपनी कमजोरी को छिपाने के लिए अब वो अनावश्यक विवाद खड़े करके जनता का ध्यान भटकाने में लगी है। जलेबी की फैक्ट्री को लेकर राहुल गांधी ने जो बयान दिया, उसका मखौल उड़ाकर राहुल गांधी की छवि को फिर खराब करने की कोशिश में जुट जाना, इसका प्रमाण है। गौरतलब है कि हरियाणा में चार दिनों की विजय संकल्प यात्रा के दौरान राहुल गांधी सोनीपत के गोहाना पहुंचे और वहां मंच पर ही कांग्रेस सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने अपने हाथों से उन्हें मातूराम हलवाई की मशहूर जलेबी चखाई। श्री गांधी ने जनता को बताया कि उन्हें आम तौर पर जलेबी पसंद नहीं है, दूसरी मिठाइयां ज्यादा पसंद हैं, लेकिन मातूराम की जलेबी उन्हें बहुत पसंद आई और उन्होंने अपनी बहन प्रियंका के लिए एक डिब्बा पैक भी करवा लिया। राहुल गांधी ने कहा कि ये जलेबी हिंदुस्तान समेत पूरी दुनिया में जानी चाहिए। अगर ये जलेबी देश और विदेश में जाएगी तो शायद इनकी दुकान फैक्ट्री में बदल जाए और हजारों लोगों को काम मिल जाए। हालांकि, नरेंद्र मोदी ने छोटे दुकानदारों को चक्रव्यूह में फंसा रखा है, क्योंकि बैंक इन्हें लोन नहीं देगा। हालात ऐसे हैं कि आज हरियाणा में व्यापारियों, कारोबारियों से विदेशों से फोन कर फिरौती मांगी जा रही है और उन्हें डराया-धमकाया जा रहा है।

राहुल गांधी की बात का दूसरा हिस्सा काफी महत्वपूर्ण और संजीदा था कि छोटे दुकानदारों को बैंकों से कर्ज नहीं मिलता। भाजपा चाहती तो इस बयान पर राहुल गांधी से बहस करती कि आखिर उन्होंने ये आरोप क्यों लगाया, इसका आधार क्या है। प्रधानमंत्री मोदी से लेकर उद्योग मंत्री, वित्त मंत्री, गृहमंत्री, हरियाणा के मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री सभी का दावा है कि भाजपा शासन में हर तरह से खुशहाली आई है और उद्योग व्यापार भी फल-फूल रहे हैं। लेकिन इस दावे को सच दिखाने के लिए और श्री गांधी के आरोप को गलत साबित करने के लिए भाजपा को ठोस सबूत भी पेश करने होते। इतनी मशक्कत करने की जगह भाजपा ने फिर से शार्ट कट चुना, जिसमें राहुल गांधी के बयान को संदर्भों से काट कर किसी छोटे हिस्से को विवादित किया जाता है, ताकि उनकी छवि खराब हो। लिहाजा भाजपा नेताओं और प्रवक्ताओं ने जलेबी की फैक्ट्री पर तंज कसने शुरु कर दिए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने झारखंड के कार्यक्रम में कहा किझूठ की जलेबी परोसने से पहले पुराना हिसाब तो दे दो, वहीं कई भाजपा नेताओं ने राहुल गांधी की समझ पर सवाल खड़े किए कि जलेबी फैक्ट्री में नहीं बनती है।

हालांकि भाजपा का यह जलेबी विवाद बहुत लंबा नहीं खिंच पाया, क्योंकि फिर कांग्रेस ने भी कई तर्कों के साथ बता दिया कि जब बड़े पैमाने पर मिठाई, नमकीन बनाई जाती है, तो फिर उसके लिए फैक्ट्री ही लगती है। भारत के कई बड़े नमकीन और मिठाई निर्माता अपनी फैक्ट्रियों में बने पकवान ही देश भर में बेचते हैं और इसके साथ-साथ विदेशों में भी बड़ी मात्रा में निर्यात होता है। भाजपा ने सोशल मीडिया के जरिए जलेबी की फैक्ट्री को वायरल करने की कोशिश की तो जवाब में विदेश में बसे कुछ भारतीयों ने वीडियो बनाकर भेज दिया कि मशहूर कंपनियों की डिब्बाबंद और फ्रोजन जलेबियां, इमरती, पेड़े, लड्डू सब दुकानों में बिकते हैं।

चुनाव के बीच मुद्दों को जलेबी की तरह घुमावदार बनाकर जनता को उलझाने का दांव भाजपा पर ही भारी पड़ गया। साथ ही भाजपा नेताओं और उनके अंध समर्थकों के अल्पज्ञान का सच भी जनता के सामने खुल गया, जिन्हें पता ही नहीं है कि दुनिया में कितने तरह से व्यंजनों और पकवानों के कारोबार होते हैं। ऐसा पहली बार नहीं है कि राहुल गांधी को विवाद में घसीटने के चक्कर में भाजपा ने खुद अपना अपमान करवा लिया। जब पिछले साल भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने असम में स्टोव में कोयला डालने का बयान दिया था, तब भी उनकी समझ का मजाक मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वासरमा से लेकर कई भाजपा नेताओं ने उड़ाया था। हालांकि फिर उनके सामने अंग्रेजी शब्दकोष पेश कर दिया गया कि हिंदी में जिसे अंगीठी या सिगड़ी कहते हैं, वो अंग्रेजी में स्टोव कहलाता है। आलू से सोना बनाने का बयान भी आधा-अधूरा था, उसका सच भी सामने आ चुका है।

अब शायद वक्त आ गया है कि राहुल गांधी को लेकर भाजपा अपनी रणनीति बदल ले और किन्हीं अन्य तरीकों से उन्हें जवाब देने की कोशिश करे। राहुल गांधी पर शहजादे और मुंह में चांदी का चम्मच लेकर पैदा होने वाले वंशवादी नेता जैसे आरोप साबित करने के लिए भाजपा ने अरबों रूपए खर्च किए होंगे, जिसे खुद जनता के बीच जाकर राहुल गांधी ने ध्वस्त कर दिया। अब जनता उन्हें अपना इतना सगा मानती है कि अपनी सारी पीड़ा उनके सामने खोल कर रख देती है। महिलाएं उन्हें हाथों से खाना खिलाना चाहती हैं, बच्चे उनके साथ मस्ती करते हैं, युवा अपने सपनों को साझा करते हैं। राहुल गांधी की इस छवि के बरक्स भाजपा का कोई नेता नहीं टिकता।

हरियाणा में चार दिनों संक्षिप्त यात्रा निकालकर राहुल गांधी ने भाजपा के लिए चुनौती और बढ़ा दी है। पिछले 10 सालों से भाजपा का शासन हरियाणा में रहा है। इस बार भाजपा सत्ता का हैट्रिक लगाना चाहती है, लेकिन कई ऐसे कारण हैं, जिनकी वजह से भाजपा पिछड़ रही है। किसान आंदोलन के वक्त केंद्र के साथ-साथ राज्य की खट्टर सरकार का संवेदनहीन और दमनकारी रवैया, अग्निवीर योजना, महिला पहलवानों के साथ हुई नाइंसाफी, बेरोजगारी, महंगाई, इन तमाम वजहों से भाजपा के खिलाफ माहौल बन रहा था। अब राहुल गांधी के सघन चुनाव प्रचार और जनसंपर्क से कांग्रेस का पलड़ा भारी दिख रहा है। ऐसे में जलेबी विवाद से भाजपा अपना नुकसान ही करवा रही है।


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