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भारत के आखिरी गांव की उम्मीदों को सींच रहा जल जीवन मिशन

भारत के आखिरी गांव की उम्मीदों को सरकार की देखरेख में जल जीवन मिशन सींच रहा है

भारत के आखिरी गांव की उम्मीदों को सींच रहा जल जीवन मिशन
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श्रावस्ती। भारत के आखिरी गांव की उम्मीदों को सरकार की देखरेख में जल जीवन मिशन सींच रहा है। उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले के नेपाल की सीमा से लगे बनकटी गांव की तस्वीर को जल जीवन मिशन ने बदल दिया है। बरसों-बरस से अपने अधिकारों से वंचित थारू जनजाति को विकास की मुख्यधारा से जोड़ते हुए जल जीवन मिशन उनकी जिंदगी को संवारने का काम कर रहा है।

योगी सरकार के प्रयास से नमामि गंगे और ग्रामीण जलापूर्ति विभाग की हर घर जल योजना से थारू जनजाति की किस्मत बदल रही है। जल जीवन मिशन के तहत हर घर जल योजना से एक ओर समुदाय के लोगों को स्वच्छ जल की आपूर्ति सुनिश्चित हो रही है तो वहीं दूसरी ओर फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) प्रशिक्षण से बेटियां व महिलाएं आत्मनिर्भर बन रहीं हैं। श्रावस्ती की ग्राम पंचायत भचकोही के बनकटी गांव में 765 थारू जनजाति निवास करती है, जहां कुल 116 हाउसहोल्ड हैं।

अब जल जीवन मिशन से थारू महिलाएं और किशोरियां हर 10 दिन में क्षेत्र में पानी की जांच कर रही हैं। आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन की अधिक मात्रा से जूझ रहे श्रावस्ती में महिलाओं को दिए गए एफटीके प्रशिक्षण द्वारा जल की गुणवत्ता की जांच होने से दूषित जल की समस्या का निदान हुआ है। जल स्त्रोतों पर पहुंचकर जल गुणवत्ता के 12 मानकों की जांच महिलाएं कर रही हैं। मिशन के तहत महिलाएं जागरूकता कार्यकमों के माध्यम से समुदाय के लोगों को जागरूक व प्रेरित कर रही हैं। थारू जनजाति की बेटियां सकारात्मक बदलाव की बयार लाने संग लोगों में स्वच्छ जल की अलख भी जगा रही हैं। मोनिका राना, निरमा, सुमलाना और शंकिता के साथ मिलकर अन्य थारू महिलाएं भी इस प्रशिक्षण कार्यक्रम से जुड़कर आत्मनिर्भर यूपी की नई इबारत लिख रहीं हैं।

सरकार की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार दूषित पानी, जलजनित बीमारियों और जल संकट से ग्रस्त श्रावस्ती के बनकटी गांव की स्थिति अब तेजी से बेहतर हो रही है। जल जीवन मिशन के तहत इस जनजाति तक स्वच्छ पेयजल पहुंचाने का कार्य युद्धस्तर पर किया जा रहा है। दूषित पानी पीने से पहले जनजाति संक्रमण का शिकार हो जाती थी पर मिशन के तहत अब फील्ड टेस्ट कीट के जरिए जल की गुणवत्ता जांच शुरू होने से संक्रमण की दर कम हुई है।


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