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जेटली ने राफेल मामले में जेपीसी की मांग ठुकराई

 केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को राफेल विमान सौदे की 'संयुक्त संसदीय समिति(जेपीसी)' से जांच की कांग्रेस की मांग ठुकरा दी

जेटली ने राफेल मामले में जेपीसी की मांग ठुकराई
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नई दिल्ली। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को राफेल विमान सौदे की 'संयुक्त संसदीय समिति(जेपीसी)' से जांच की कांग्रेस की मांग ठुकरा दी और कहा कि लोकतंत्र में 'परिवार' सर्वोच्च न्यायालय से ऊपर नहीं है। रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण के साथ यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "सर्वोच्च न्यायालय का फैसला पूर्ण और निर्णायक है और इस तरह के मामलों में सच्चाई न्यायिक प्रक्रिया से सामने आती है, न कि राजनीतिक पक्ष के आधार पर।"

उन्होंने कहा, "क्या सौदे में कोई भी पक्षपात हुआ? क्या देश के सुरक्षा के साथ समझौता किया गया? क्या प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया? इस तरह के मामलों में सच्चाई न्यायिक प्रक्रिया से आती है और न कि अलग पक्ष के जरिए।"

उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनपर झूठ फैलाने और लगातार हमला करने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा, "पूरे विश्व में राजनीति में एक परंपरा है, अगर आप झूठ बोलते हैं और पकड़े जाते हैं, तो आपको इस्तीफा देना चाहिए या हटा दिया जाना चाहिए। झूठ बोलने के लिए राष्ट्रपति तक को पद से हटा दिया गया है। कम से कम यह होना चाहिए। कल तक कांग्रेस राफेल मामले में चर्चा की मांग कर रही थी। आज हम कह रहे हैं कि इसे तत्काल शुरू करें। जिन्होंने झूठ का निर्माण किया है, उन्हें इसे संसद में रखना चाहिए।"

यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस का यह पक्ष है कि सौदे पर निर्णय लेने के लिए न्यायपालिका सही जगह नहीं है। जेटली ने कहा, "वे सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को भी स्वीकार नहीं कर रहे हैं। हमारे लोकतंत्र में, परिवार सर्वोच्च न्यायालय से ऊपर नहीं है। क्या वे सोचते हैं कि किसी परिवार का झूठ सर्वोच्च न्यायालय से ऊपर है?"

उन्होंने कहा कि सच और झूठ में एक बुनियादी अंतर होता है।

जेटली ने कहा, "सच्चाई हमेशा साथ होती है, सभी कुछ बताती है, लेकिन झूठ एक दिन ढह जाता है। वास्तव में इसका बहुत कम समय का जीवन काल होता है। इस मामले में बमुश्किल कुछ महीनों का। झूठ बोलने वाले की विश्वसनीयता समाप्त हो जाती है। राफेल मामले में इसी तरह के लक्षण हैं।"

इस बात को खारिज करते हुए कि सरकार ऑफसेट पार्टनर के चयन में संलिप्त है, उन्होंने कहा कि सरकार का इससे और दसॉ एविएशन से कुछ भी लेना-देना नहीं है और राफेल विमान के निर्माताओं ने इसका निर्णय लिया है।


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