जयशंकर ने रूस से कहा, भारत आसियान केंद्रीयता के लिए प्रतिबद्ध
भारत और रूस उत्तर-दक्षिण अंतर्राष्ट्रीय परिवहन गलियारे और पूर्वी समुद्री गलियारे के माध्यम से कनेक्टिविटी की तलाश कर रहे हैं

नई दिल्ली। भारत और रूस उत्तर-दक्षिण अंतर्राष्ट्रीय परिवहन गलियारे और पूर्वी समुद्री गलियारे के माध्यम से कनेक्टिविटी की तलाश कर रहे हैं। मंगलवार को अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के साथ अपनी बातचीत के बाद भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि दोनों पक्षों ने रूसी सुदूर पूर्व में नए अवसरों पर ध्यान केंद्रित किया है।
मंत्रालय की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया, "हमने अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे और चेन्नई-व्लादिवोस्तोक पूर्वी समुद्री गलियारे सहित कनेक्टिविटी के संबंध में बात की।"
अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर चर्चा करते हुए, जयशंकर ने लावरोव को बताया कि भारत आसियान केंद्रीयता के लिए ²ढ़ता से प्रतिबद्ध है और इसे भारत-प्रशांत महासागरों की पहल द्वारा रेखांकित किया गया है। मालूम हो कि भारत पूर्व-एशिया शिखर सम्मेलन की वकालत कर रहा है।
जयशंकर ने कहा, "रूस बहुत महत्वपूर्ण भागीदार है। चाहे वह उनका सुदूर पूर्व हो या चेन्नई-व्लादिवोस्तोक कॉरिडोर हो।"
जयशंकर ने कहा कि हालांकि पिछले सात दशकों में दुनिया बदल गई है और दोनों छोर पर अलग-अलग सरकारें रहीं हैं, मगर भारत और रूस के बीच संबंध विशिष्ट रूप से मजबूत और स्थिर बने हुए हैं। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि इसका कारण यह है कि दोनों पक्षों के बीच अपने साझा हितों की पहचान करने और उन्हें अपडेट करने की निरंतर क्षमता रही है।
उन्होंने कहा, "हम दोनों (भारत और रूस) वैश्विक शांति, सुरक्षा और स्थिरता के लिए अपने संबंधों के महत्व को समझते हैं "
दोनों मंत्रियों ने परमाणु, अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्रों में लंबे समय तक भागीदारी के बारे में भी बात की।
जयशंकर ने कहा कि द्विपक्षीय सहयोग ऊर्जावान और अग्रगामी बना हुआ है।
मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि मंगलवार को हुई चर्चा में ज्यादातर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की वार्षिक शिखर बैठक की तैयारियों के बारे में भी बातचीत की गई।


