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ईरान दौरे पर जयशंकर ने कहा, जहाजों पर हमले गंभीर चिंता का विषय

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर दो दिन के ईरान दौरे पर हैं. उन्होंने हिंद महासागर में जहाजों पर हमले को लेकर चिंता जताई है

ईरान दौरे पर जयशंकर ने कहा, जहाजों पर हमले गंभीर चिंता का विषय
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भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर दो दिन के ईरान दौरे पर हैं. उन्होंने हिंद महासागर में जहाजों पर हमले को लेकर चिंता जताई है. इस्राएल-हमास युद्ध के बाद से ही हूथी विद्रोहियों ने लाल सागर में जहाजों पर हमले शुरू कर दिए.

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को ईरान दौरे के दौरान कहा कि भारत के आसपास जहाजों पर हमले अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए "गंभीर चिंता" का विषय है और इस तरह के खतरों का भारत की ऊर्जा और आर्थिक हितों पर सीधा असर पड़ता है. उन्होंने कहा, "इस स्थिति में किसी भी पक्ष का लाभ नहीं होगा और इसे स्पष्ट रूप से पहचाना जाना चाहिए."

इस्राएल और हमास संघर्ष के बीच लाल सागर और अदन की खाड़ी में ईरान समर्थित हूथी विद्रोहियों ने हाल के दिनों में विभिन्न मालवाहक जहाजों को निशाना बनाया है. लाल सागर और अदन खाड़ी से गुजरने वाले जहाजों को ड्रोन और मिसाइलों द्वारा निशाना बनाया गया.

जयशंकर ने ईरान का दौरा ऐसे समय में किया है, जब इस्राएल और हमास के बीच छिड़ी जंग के पूरे मध्य-पूर्व में फैलने का खतरा बना हुआ है. जयशंकर ने अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान सोमवार को ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी से मुलाकात की. इससे पहले उन्होंने अपने समकक्ष होसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन से मुलाकात की.

चाबहार बंदरगाह पर भी बात

दोनों विदेश मंत्रियों ने परस्‍पर संबंधों, क्षेत्रीय संपर्क और वैश्विक घटनाक्रम पर बातचीत की. जयशंकर ने चाबहार बंदरगाह जैसी परियोजनाओं को लेकर भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया.

अब्दुल्लाहियन के साथ द्विपक्षीय वार्ता करने के बाद प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि हाल ही में हिंद महासागर के इस महत्वपूर्ण हिस्से में समुद्री व्यवसायिक नौवहन की सुरक्षा के लिए खतरा बढ़ा है. लाल सागर में जहाजों पर हमले को लेकर उन्होंने जोर देकर कहा कि इस संकट को जल्द से जल्द दूर किया जाना महत्वपूर्ण है.

साथ ही जयशंकर ने कहा, "दोनों देशों ने चाबहार पोर्ट के विकास और संचालन में भारत की भागीदारी पर चर्चा की, जो कनेक्टिविटी की संयुक्त दृष्टि के साथ एक संयुक्त परियोजना है. मैंने मध्य-एशिया, अफगानिस्तान और यूरेशिया के बाजारों तक पहुंच के लिए ईरान की अद्वितीय भौगोलिक स्थित से लाभ उठाने में भारत की रुचि दोहराई."

पश्चिम एशिया की स्थिति पर भी चर्चा

तेहरान में जयशंकर ने "सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में आतंकवाद के खिलाफ भारत की अडिग स्थिति" को दोहराते हुए, "गाजा में गहरी चिंताजनक स्थिति" के बारे में भी बात की.

जयशंकर ने कहा कि भारत और ईरान दोनों पश्चिम एशिया में हाल की घटनाओं के बारे में चिंतित हैं और क्षेत्र में हिंसा और शत्रुता को और बढ़ने से रोकने के महत्व पर जोर देते हैं. उन्होंने अपने बयान में कहा, "मैंने सभी पक्षों को उकसाने वाली और तनाव बढ़ाने वाली कार्रवाइयों से बचने और बातचीत और कूटनीति की दिशा में आगे बढ़ने की आवश्यकता पर जोर दिया."

ईरान के विदेश मंत्रालय ने ट्वीट कर कहा कि चाबहार बंदरगाह और उत्तर-दक्षिण पारगमन मार्ग का विस्तार अहम है. ईरानी विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम समझ सकते हैं कि अंतरराष्ट्रीय जल में सुरक्षा काफी अहम है.

हूथी विद्रोहियों के निशाने पर जहाज

लाल सागर से गुजरने वाले मालवाहक जहाजों पर हमले 7 अक्तूबर के बाद शुरू हुए. 7 अक्तूबर को हमास ने इस्राएल पर हमला किया था, जिसके बाद इस्राएल और हमास के बीच लड़ाई शुरू हो गई. उसके कुछ ही दिन बाद हूथी विद्रोहियों ने लाल सागर में जहाजों पर हमले शुरू कर दिए. हूथी विद्रोहियों ने इस्राएल-हमास युद्ध में हमास के समर्थन का ऐलान किया और कहा कि वे इस्राएल जाने वाले हर जहाज को निशाना बनाएंगे. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि जो जहाज हमले का शिकार हुए वे वाकई इस्राएल जा रहे थे.

इस बीच ब्रिटेन और अमेरिका के लड़ाकू विमान लाल सागर में जहाजों पर हमला करने वाले हूथी विद्रोहियों पर बमबारी कर रहे हैं. पिछले कई दिनों से मालवाहक जहाजों पर हो रहे हमलों के जवाब में पश्चिमी देशों ने यह कार्रवाई की है.

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पिछले हफ्ते कहा, "ये हमले लाल सागर में हूथियों द्वारा मालवाहक जहाजों पर किए जा रहे अभूतपूर्व हमलों का सीधा जवाब हैं. इतिहास में पहली बार जहाजों पर हमलों में एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइलों का इस्तेमाल हो रहा है."

भारत ने भी पिछले महीने अरब सागर में वाणिज्यिक जहाजों पर हमलों के मद्देनजर क्षेत्र में निगरानी के लिए लंबी दूरी के पी-8आई गश्ती विमान, युद्धपोत आइएनएस मोरमुगाओ, आइएनएस कोच्चि और आइएनएस कोलकाता को तैनात किया था. भारतीय रक्षा मंत्रालय ने उस समय कहा था कि भारतीय नौसेना सभी हितधारकों के साथ स्थिति की बहुत बारीकी से निगरानी कर रही है और क्षेत्र में व्यापारिक नौवहन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है.


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