गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व की जयराम ठाकुर ने दी बधाई
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने 9वें गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व की बधाई दी

शिमला। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने 9वें गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व की बधाई दी है।
‘हिन्द की चादर’ गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। त्याग, करुणा और निर्भयता के प्रतीक गुरु तेग बहादुर की शिक्षाएं हम सबको सदैव धर्म, सेवा, मानवता एवं सत्य के पथ पर चलने के लिए प्रेरित करती रहेंगी। गुरु तेग बहादुर के चरणों में नमन।
उल्लेखनीय है कि कोरोना के चलते गुरुद्वारों में कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है। राजधानी सहित अनेक स्थानों पर लोग गुरुद्वारों में मास्क पहनकर मत्था टेकने पहुंच रहे हैं। इस बार गुरुद्वारों में छोटे-छोटे कार्यक्रम ही किए जा रहे हैं। गुरुमति समागम हो रहे हैं। इस दिन गुरु साहिब के इतिहास और शहादत के बारे में बताया जाता है।
गुरु तेग बहादुर सिंह सिखों के नौंवें गुरु थे। तेग बहादुर जी के बचपन का नाम त्यागमल था। उनके पिता का नाम गुरु हरगोबिंद सिंह था। वे बाल्यावस्था से ही संत स्वरूप गहन विचारवान, उदार चित्त, बहादुर और निर्भीक स्वभाव के थे। शिक्षा-दीक्षा मीरी-पीरी के मालिक गुरु-पिता गुरु हरिगोबिंद साहिब की छत्र छाया में हुई। इसी समय इन्होंने गुरुबाणी, धर्मग्रंथों के साथ-साथ शस्त्रों और घुड़सवारी आदि की शिक्षा प्राप्त की। सिखों के 8वें गुरु हरिकृष्ण राय की अकाल मृत्यु हो जाने की वजह से गुरु तेग बहादुर को गुरु बनाया गया था।
मात्र 14 वर्ष की आयु में अपने पिता के साथ मुगलों के हमले के खिलाफ हुए युद्ध में उन्होंने अपनी वीरता का परिचय दिया। इस वीरता से प्रभावित होकर उनके पिता ने उनका नाम तेग बहादुर यानी तलवार के धनी रख दिया।
गुरु तेग बहादुर सिंह जहां भी गए, उनसे प्रेरित होकर लोगों ने न केवल नशे का त्याग किया, बल्कि तंबाकू की खेती भी छोड़ दी। उन्होंने देश को दुष्टों के चंगुल से छुड़ाने के लिए जनमानस में विरोध की भावना भर, कुर्बानियों के लिए तैयार किया और मुगलों के नापाक इरादों को नाकामयाब करते हुए कुर्बान हो गए।


