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जयराम रमेश संवैधानिक प्रावधानों और संसदीय प्रक्रियाओं के बारे में भ्रामक बयान दे रहे हैं : प्रल्हाद जोशी

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने संसद के विशेष सत्र और एजेंडे को लेकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश के बयान पर पलटवार करते हुए कहा है कि वह संवैधानिक प्रावधानों और संसदीय प्रक्रियाओं के बारे में तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं और भ्रामक बयान दे रहे हैं।

जयराम रमेश संवैधानिक प्रावधानों और संसदीय प्रक्रियाओं के बारे में भ्रामक बयान दे रहे हैं : प्रल्हाद जोशी
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नई दिल्ली । केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने संसद के विशेष सत्र और एजेंडे को लेकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश के बयान पर पलटवार करते हुए कहा है कि वह संवैधानिक प्रावधानों और संसदीय प्रक्रियाओं के बारे में तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं और भ्रामक बयान दे रहे हैं।

प्रल्हाद जोशी ने जयराम रमेश के एक्स पर रिप्लाई करते हुए कहा, "लोकतंत्र में संसद को बुलाना सबसे बड़ा वरदान है, हालांकि बाध्यकारी विरोधाभासी लोगों की एक लॉबी है जो इसका विरोध करती है। जयराम रमेश के हालिया बयान काफी भ्रामक रहे हैं। वह संवैधानिक प्रावधानों और संसदीय प्रक्रियाओं के बारे में तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं।"

जोशी ने जयराम रमेश पर हमला जारी रखते हुए कहा, "रमेश झूठा दावा कर रहे हैं कि जीएसटी लागू करने के लिए 30 जून, 2017 को सेंट्रल हॉल में हुआ ऐतिहासिक समारोह संसद सत्र था। यह बिल्कुल सच नहीं है! यह संविधान के अनुच्छेद 85 के तहत एक सत्र नहीं था। संसद और इसकी प्रक्रियाओं को बदनाम करने वाली गलत सूचना के प्रसार को रोकना महत्वपूर्ण है।"

केंद्रीय मंत्री ने अपने एक्स पर विशेष सत्र को लेकर आगे कहा, "संविधान के अनुच्छेद 85 के तहत संसद का एक सत्र यही है और स्थापित संसदीय प्रथाओं के अनुसार एजेंडा शेयर किया जाएगा।"

जोशी ने आगे लिखा, "अब, आइए एक और गलतबयानी पर ध्यान दें। रमेश ने संविधान की 70वीं वर्षगांठ के लिए '26 नवंबर, 2019 को सेंट्रल हॉल में विशेष बैठक' का उल्लेख किया। लेकिन यह भी संविधान के अनुच्छेद 85 के तहत संसदीय सत्र नहीं था। उत्सव समारोहों और औपचारिक संसदीय सत्रों के बीच अंतर करना महत्वपूर्ण है। हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की अखंडता को बनाए रखने में सटीक जानकारी मायने रखती है।"

कांग्रेस की पिछली सरकारों पर कई आरोप लगाते हुए जोशी ने आगे कहा, "इतिहास गवाह है कि यह आपकी सरकार थी जो संसदीय लोकतंत्र को तोड़ने-मरोड़ने के लिए जानी जाती थी। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के लोगों ने आपातकाल लागू कर कैसे 1975 में आपकी सरकार द्वारा इस देश के लोगों और संस्थानों के अधिकारों पर अंकुश लगाया गया था। अनुच्छेद 356 का दुरुपयोग करते हुए 90 से अधिक बार लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राज्य सरकारों को बर्खास्त करने में आपकी सरकार का स्ट्राइक रेट शानदार है।"


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