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जयराम रमेश ने पीएम मोदी पर बोला हमला, पहलगाम हमले पर उठाए गंभीर सवाल

ऑपरेशन सिंदूर और भारत पाकिस्तान युद्ध को लेकर सीजफायर के बाद से कांग्रेस महासचिव और पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश लगातार केंद्र की भाजपा सरकार और पीएम मोदी को लेकर हमलावर हो रहे हैं। कांग्रेस नेता ने पीएम मोदी को लेकर फिर बड़ा बयान दिया है।उन्होंने अपने पोस्ट में कहा है कि अब जबकि प्रधानमंत्री स्वयं उन सात संसदीय प्रतिनिधिमंडलों के सदस्यों से मिल चुके हैं जिन्हें 32 देशों में भेजा गया था, क्या वे अब कम से कम-

जयराम रमेश ने पीएम मोदी पर बोला हमला, पहलगाम हमले पर उठाए गंभीर सवाल
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नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर और भारत पाकिस्तान युद्ध को लेकर सीजफायर के बाद से कांग्रेस महासचिव और पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश लगातार केंद्र की भाजपा सरकार और पीएम मोदी को लेकर हमलावर हो रहे हैं। कांग्रेस नेता ने पीएम मोदी को लेकर फिर बड़ा बयान दिया है।

उन्होंने अपने पोस्ट में कहा है कि अब जबकि प्रधानमंत्री स्वयं उन सात संसदीय प्रतिनिधिमंडलों के सदस्यों से मिल चुके हैं जिन्हें 32 देशों में भेजा गया था, क्या वे अब कम से कम-

1. सभी राजनीतिक दलों के नेताओं की बैठक बुलाकर उन्हें चीन और पाकिस्तान के प्रति भारत की भावी रणनीति तथा सिंगापुर में CDS द्वारा किए गए खुलासों के सामरिक निहितार्थों पर विश्वास में लेंगे?

2. मानसून सत्र में देश की सुरक्षा और विदेश नीति को लेकर पहलगाम हमले के बाद उत्पन्न चुनौतियों पर विस्तृत बहस कराने को तैयार होंगे, विशेषकर जब INDIA गठबंधन द्वारा विशेष सत्र की मांग दुर्भाग्यपूर्ण रूप से ठुकरा दी गई है?

3. पहलगाम आतंकवादी हमलावरों को न्याय के कटघरे में लाने के प्रयास दोगुने करेंगे, जिनके बारे में रिपोर्ट है कि वे पहले भी पुंछ (दिसंबर 2023), गगनगीर और गुलमर्ग (2024) के तीन आतंकी हमलों में शामिल रह चुके हैं?

4. जुलाई 1999 में गठित कारगिल समीक्षा समिति (जिसकी अध्यक्षता वर्तमान विदेश मंत्री के पिता ने की थी) की तर्ज पर क्या विशेषज्ञों का एक समूह गठित किया जाएगा, जो ऑपरेशन सिंदूर का विस्तार से विश्लेषण करे और भविष्य के युद्धों को लेकर अपनी सिफारिशें दे- जिनमें नए सैन्य प्लेटफॉर्म्स और तकनीक का विकास, संकट की स्थिति में रणनीतिक संचार क्षमताओं का निर्माण आदि शामिल हों? और क्या इस समिति की रिपोर्ट -आवश्यक संशोधनों और गोपनीय अंशों को हटाने के बाद -संसद में प्रस्तुत की जाएगी, ठीक वैसे ही जैसे फरवरी 2000 में कारगिल समीक्षा समिति की रिपोर्ट संसद में रखी गई थी?


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