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ड्रामा, रोमांच, इमोशन और मनोरंजन से भरपूर 'जहांगीर नेशनल यूनिवर्सिटी'

उर्वशी रौतेला और विनय शर्मा स्टारर फिल्म 'जहांगीर नेशनल यूनिवर्सिटी' (जेएनयू) में देश की राष्ट्रीय राजधानी में स्थित एक नामी यूनिवर्सिटी में होने वाली राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को दिखाया गया है

ड्रामा, रोमांच, इमोशन और मनोरंजन से भरपूर जहांगीर नेशनल यूनिवर्सिटी
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मुंबई। उर्वशी रौतेला और विनय शर्मा स्टारर फिल्म 'जहांगीर नेशनल यूनिवर्सिटी' (जेएनयू) में देश की राष्ट्रीय राजधानी में स्थित एक नामी यूनिवर्सिटी में होने वाली राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को दिखाया गया है। यह लगभग एक दशक पहले सामने आई वास्तविक घटनाओं से प्रेरित लगती है।

कहानी दिल्ली के जहांगीर नेशनल यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ (वामपंथी) के अध्यक्ष कृष्ण कुमार (अतुल पांडे) के इर्द-गिर्द घूमती है। उसकी टीम में एक और मजबूत छात्र नेता सायरा रशीद है, जिसका किरदार एक्ट्रेस शिवज्योति राजपूत ने निभाया है। वो वामपंथी विचारधारा की है।

वहीं, सिद्धार्थ बोडके ने सौरभ शर्मा का किरदार निभाया है, जो छोटे शहर से है और यूनिवर्सिटी में वामपंथी छात्रों की गतिविधियों से नाराज है। वह उनके खिलाफ आवाज उठाता है। इसमें उसे बाबा अखिलेश पाठक (कुंज आनंद) और ऋचा शर्मा (उर्वशी रौतेला) का साथ मिलता है। वह इनके मार्गदर्शन में जेएनयू की राजनीति में कदम रखता है। वह राष्ट्रवाद और हिंदू धर्म के तथाकथित दक्षिणपंथ का दृढ़ता से पालन करता है।

इन दोनों छात्र संघों को बड़ी राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियों का समर्थन प्राप्त है। कृष्ण कुमार और उनकी वामपंथी टीम यूनिवर्सिटी कैंपस में कई देश विरोधी गतिविधियां करती है।

कृष्ण कुमार की अगुआई वाली वामपंथी टीम द्वारा "अफजल हम शर्मिंदा हैं, तेरे कातिल जिंदा हैं" और "भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशाअल्लाह इंशाअल्लाह" जैसे नारे लगाए जाते हैं और यहीं से फिल्म में असली ट्विस्ट शुरू होता है। इसके आगे क्या होता है, यह जानने के लिए आपको फिल्म जरूर देखनी चाहिए।

कृष्ण कुमार की भूमिका को अतुल पांडे ने शानदार तरीके से निभाया है। वहीं सिद्धार्थ बोडके और शिवज्योति राजपूत की दमदार एक्टिंग आपका ध्यान खींचने का काम करेगी। इनके अलावा कुंज आनंद, उर्वशी रौतेला, रवि किशन, पीयूष मिश्रा, विजय राज, रश्मि देसाई और जेनिफर पिकिनाटो जैसे अन्य कलाकारों ने भी अपने-अपने किरदारों से अलग छाप छोड़ी है।

इस ड्रामा-थ्रिलर में म्यूजिक का कुछ खास योगदान नहीं है। लेकिन अहमद नजीम, विजय वर्मा और सारांश का म्यूजिक कानों में पड़ते ही आपको प्रभावित करेगा।

कुल मिलाकर, यह एक बेहतरीन पॉलिटिकल ड्रामा है, जो किसी भी भारतीय को आसानी से पसंद आएगी। यह हमारे देश की पॉपुलर यूनिवर्सिटी में लगभग एक दशक पहले हुई एक वास्तविक घटना से संबंधित है।

इस फिल्म में लगभग वह सब कुछ है जो एक दर्शक बेहतरीन फिल्म से उम्मीद करता है। चाहे वह ड्रामा हो, रोमांच हो, इमोशन हो, एक्शन हो, प्यार हो, विश्वासघात हो या मनोरंजन हो। अब इंतजार किस बात का? अपने नजदीकी सिनेमा हॉल में जाकर इसे जरूर देखें।

फिल्म: जहांगीर नेशनल यूनिवर्सिटी

फिल्म की अवधि: 150 मिनट

कलाकार: उर्वशी रौतेला, सिद्धार्थ बोडके, रवि किशन, पीयूष मिश्रा, विजय राज, रश्मि देसाई, शिवज्योति राजपूत, जेनिफर पिकिनाटो, कुंज आनंद और अतुल पांडे

निर्देशक: विनय शर्मा

निर्माता: प्रतिमा दत्ता

बैनर: महाकाल मूवीज प्राइवेट लिमिटेड


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