बस्तर चेम्बर ऑफ कामर्स का भविष्य संकट में
जगदलपुर ! बस्तर चेम्बर आफ कामर्स के अध्यक्ष के प्रति सदस्यों की नाराजगी दिन ब दिन बढ़ती जा रही है। संभाग भर से बड़ी संख्या में सदस्यों द्वारा चेम्बर से त्यागपत्र दिये जाने की खबरे आ रही है।

इस्तीफा देने वाले व्यापारियों की संख्या हुई 100 से पार
बचेका अध्यक्ष को हटाये बिना नहीं मानेंगे व्यापारी
जगदलपुर ! बस्तर चेम्बर आफ कामर्स के अध्यक्ष के प्रति सदस्यों की नाराजगी दिन ब दिन बढ़ती जा रही है। संभाग भर से बड़ी संख्या में सदस्यों द्वारा चेम्बर से त्यागपत्र दिये जाने की खबरे आ रही है। आज भी करीब 70 व्यापारियों ने बस्तर चेम्बर ऑफ कामर्स से अपना इस्तीफा दे दिया है, जिसमें जगदलपुर शहर और फरसगांव क्षेत्र के व्यापारी शामिल है। खबर है कि इस्तीफे का यह दौर आने वाले दिनों में और तेज होगा। लिखित रूप से दिये गये त्यागपत्र में छ: बिन्दुओं पर व्यापारियों ने नाराजगी व्यक्त की है। संस्था के अध्यक्ष की विवादास्पद कार्य प्रणाली एवं व्यवसायिक अहित में कार्य करने के कारण तथा संस्था का राजनीतिकरण कर दिये जाने की बात इस्तीफे में लिखी गई है। इसके अलावा संस्था के अध्यक्ष पर प्रशासनिक अधिकारियों की चाटुकारिता करने का आरोप भी लगाया गया है। यह भी कहा गया है कि अध्यक्ष ऋषी हेमाणी द्वारा संस्था के सदस्यों के आपसी विवाद को संस्था में ना सुलझा कर पुलिस थाने ले जाया गया जो कि बेहद शर्मनाक बात है। सदस्यों का आरोप है कि अध्यक्ष द्वारा इस गरमामयी पद का व्यक्तिगत स्वार्थो के लिये इस्तेमाल किया जा रहा है। संस्था के अध्यक्ष कतिपय लोगों के हाथों की कठपुतली बने हुए हैं इसलिए चेम्बर का वातावरण दूषित हो गया है। इन्हीं सब कारणों की वजह से व्यापारी आक्रोशित हैं और लगातार चेम्बर की सदस्यता से इस्तीफा दे रहे हैं। इस्तीफे की यही गति रही तो चेम्बर में सिर्फ आधा दर्जन पदाधिकारी ही शेष रहेंगे और बरसों पूराना गरिमामयी इतिहास वाला बस्तर चेम्बर ऑफ कामर्स सिर्फ एक इतिहास बन कर रह जायेगा।
अहं की आग में झुलसता बचेका
बचेका, अब बचेगा भी की नहीं, इस बात को लेकर शहर के चौक चौराहों पर चर्चा जारी है। बरसों पहले बस्तर के जिन प्रतिष्ठित और नि:स्वार्थ भाव से काम करने वाले वरिष्ठ व्यवसायियों ने इस संगठन की बुनियाद रखी थी उनकी आत्मा यकीनन आज के चेम्बर को देखकर बेहद दुखी होगी। एक समय था जब चेम्बर बस्तर की आवाज हुआ करती थी। बड़े-बड़े मुद्दे चेम्बर की पहल पर सुलझाए जाते रहे है। चेम्बर का एक गरिमामयी इतिहास रहा है। काफी हद तक चेम्बर ने बस्तर की राजनीति को भी एक नई और सकारात्मक दिशा दी है। प्रेम महावर, रामगोपाल महावर, त्रिलोकी नाथ अग्रवाल, पुखराज बोथरा, केशरीचंद पारख, संतोष जैन, करसनदास हेमाणी जैसे स्वच्छ और निष्पक्ष छबि वाले व्यापारी इस संस्था के अध्यक्ष रह चुके है। व्यापारियों के हितों की रक्षा के लिए जिनका संघर्ष आज भी याद किया जाता है। उसके बाद एक गुट विशेष का चेम्बर में एकाधिकार हो जाना ही असंतोष की वजह बनी जो अब विकराल का रूप ले चुकी है। चेम्बर का आपसी विवाद इतना बढ़ चुका है कि अध्यक्ष ऋषी हेमाणी को अपने ही सदस्यों के खिलाफ शिकायत करने कोतवाली तक जाना पड़ रहा है। एक तरफ व्यापारी इस्तीफा दे रहे है, दूसरी तरफ अध्यक्ष और अनके सिपहसलार लोगों से इस्तीफा वापस लेने सडक़ों पर गिड़गिड़ाते नजर आ रहे है। कुल मिलाकर अब यह अहं की लड़ाई बन चुकी है। पहले अध्यक्षों को ससम्मान यह कुर्सी सौंपी जाती थी फिर उन्हें बरसों इस कुर्सी से उतरने भी नहीं दिया जाता था। आज ऐसा क्या हुआ कि एक साल पहले एक गुट विशेष की विशेष कृपा से अध्यक्ष बने श्री हेमाणी को कुर्सी से हटाने चेम्बर के सदस्य अब सडक़ों पर आ गये है। वो पद छोडऩा नहीं चाहते। इसलिए अब सदस्यों ने चेम्बर छोड़ देने का मन बना लिया है।


