नर्मदा नदी को जीवित व्यक्ति का दर्जा,मप्र सरकार छह सप्ताह के अंदर दे जवाब
जबलपुर ! मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने नर्मदा नदी को जीवित व्यक्ति का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर राज्य सरकार को छह सप्ताह के अंदर जवाब प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं।

जबलपुर ! मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने नर्मदा नदी को जीवित व्यक्ति का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर राज्य सरकार को छह सप्ताह के अंदर जवाब प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता और न्यायाधीश सुजल पॉल की युगलपीठ ने आज याचिकाकर्ता मुकेश जैन की याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से समय प्रदान करने के आग्रह को स्वीकार करते हुए यह आदेश दिए है। याचिका में बताया गया है कि नर्मदा नदी अमरकंटक से निकलकर गुजरात के भारूच तक कुल 1312 का सफर तय करती है। प्रदेश में इस नदी के 70 प्रतिशत जल के साथ कई जिलों में पेयजल की सप्लाई भी होती है। इतना ही नहीं लगभग 4 हजार मैगावॉट हाईड्रो बिजली का उत्पादन नर्मदा जल से होता है। नर्मदा प्रदेश की जीवनप्रदायनी नदी है। यह नदी हिन्दुओं की आस्था का केंद्र है। याचिका में बताया गया है कि अवैध रेत उत्खन्न से नदी के जलीय जंतु की मौत हो रही है। डेरियों से निकलने वाले अवशेष नदी में मिल रहे है, जिसके कारण जल प्रदूषित हो रहा है। अझोला जैसी खतरनाक खरपतवार नदी में तेजी से बढ़ रही है। जिसके कारण नदी में जल प्रदूषण की मात्रा बढ़ रही। इसका अस्तित्व खतरे में आता जा रहा है। नदी किराने लगे उद्योगों से निकलने वाले दूषित केमिकल वाले अवशेष को भी नदी में छोड़ा जा रहा है। याचिका में मांग की गई है कि नर्मदा नदी को लिविंग एन्टिटी को दर्जा देते हुए उसके किनारे परिक्रमा पथ का निर्माण और परिक्रमा पथ के किनारे पौधा व जड़ी-बूटी की नर्सरी स्थापित की जाए। नर्मदा नदी के किनारे शराब और नशीले पदार्थ पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए नर्मदा मैनेजमेंट कमेटी का गठन किया जाए।


