महाभियोग प्रस्ताव को अस्वीकार करना अनुचित : गोवा कांग्रेस नेता
नाईक राज्यसभा की कानून व न्याय की स्थायी समिति के अध्यक्ष के तौर पर सेवाएं दे चुके हैं

पणजी। कांग्रेस की गोवा इकाई के अध्यक्ष शांताराम नाईक ने सोमवार को कहा कि राज्यसभा सभापति एम.वेकैंया नायडू द्वारा प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को खारिज करने के आधार के तौर पर अग्रिम रूप से प्रचार किए जाने को आधार बनाना अनुचित है, क्योंकि बहुत सारे भाजपा नेताओं ने अतीत में ऐसा किया है। नाईक ने एक बयान में कहा, "भाजपा के कई नेताओं ने विपक्ष में रहने के दौरान अपनी नोटिसों के अग्रिम तौर पर प्रचार का कोई अवसर जाने नहीं दिया था।"
नाईक राज्यसभा की कानून व न्याय की स्थायी समिति के अध्यक्ष के तौर पर सेवाएं दे चुके हैं। नाईक ने दावा किया कि वेंकैया नायडू ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के मंत्री के तौर पर ऊपरी सदन में 'बिना जरूरी नोटिस दिए भी मामले उठाए हैं।'
नाईक ने कहा, "मैंने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी व अन्य के खिलाफ राज्यसभा में दिए गए नोटिस का अग्रिम तौर पर प्रचार किया है। आसन ने इस तरह के प्रचार को लेकर कभी आपत्ति नहीं जताई।"
कांग्रेस नेता ने कहा, "अन्य आधारों के संदर्भ में राज्यसभा के सभापति का कर्तव्य सिर्फ यह पुष्टि करना है कि भारत के प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ 50 सदस्यों ने प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं या नहीं और क्या आरोप ऐसे हैं कि इसकी जरूरत है।"
उन्होंने कहा कि नायडू को प्रस्ताव को स्वीकार करना चाहिए था और तीन सदस्यीय समिति बनानी चाहिए थी, जो कि न्यायाधीश जांच अधिनियम, 1968 के धारा 3 के तहत अपेक्षित है।
नाईक ने कहा, "सभापति के लिए तीन सदस्यीय समिति की भूमिका धारण कर लेना अनुचित है, जिसके गठन से उन्होंने परहेज किया।"


