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भारत के बिना एसडीजी हासिल करना संभव नहीं : किंगो

लिजे किंगो ने आज कहा कि भारत के बिना दुनिया के लिए सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी),2030 हासिल कर पाना संभव नहीं होगा

भारत के बिना एसडीजी हासिल करना संभव नहीं : किंगो
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नयी दिल्ली। सतत विकास लक्ष्य हासिल करने की दिशा में उद्योगों को प्रेरित करने के लिए बनायी गयी संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूएन ग्लोबल कांपैक्ट की मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं कार्यकारी निदेशक लिजे किंगो ने आज कहा कि भारत के बिना दुनिया के लिए सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी),2030 हासिल कर पाना संभव नहीं होगा।

यूएन ग्लोबल कॉम्पैक्ट कनेक्ट इंडिया द्वारा आयोजित एक सम्मेलन के दूसरे और आखिरी दिन विभिन्न क्षेत्रों में कारोबार करने वाली भारतीय उद्योग जगत की बड़ी कंपनियों के अधिकारियों को संबोधित करते हुये किंगो ने अाज कहा कि यदि भारत एसडीजी के लक्ष्यों को हासिल कर लेता है तो वैश्विक लक्ष्य का आधा हिस्सा अपने-आप हासिल हो जायेगा। मौजूदा समय में वैश्विक विकास में भारत का योगदान आठ प्रतिशत है।

उन्होंने कहा कि इसके बावजूद भारत में अब भी काफी कुछ किया जाना बाकी है। यहाँ अब भी गरीबी है, असमानता है, बाल एवं मातृ मृत्यु दर ऊँची है। सम्मेलन में जारी थीम पेपर में कहा गया है कि देश की 30 प्रतिशत आबादी अंतर्राष्ट्रीय गरीबी रेखा (1.90 डॉलर प्रतिदिन) से नीचे गुजर-बसर करती है।

पंद्रह प्रतिशत लोग कुपोषित हैं जो दुनिया में कुपोषितों की कुल संख्या का करीब एक-चौथाई है। तकरीब 66 प्रतिशत बच्चों का समय पर टीकाकरण नहीं हो पाता। वेतन में लैंगिक असमानता 67 प्रतिशत है। साठ करोड़ लोगों के पास सेनिटेशन सुविधाओं का अभाव है।

किंगो ने कहा कि एसडीजी हासिल करने के लिए वर्ष 2030 तक देश में सात करोड़ 20 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार के अवसर मुहैया कराने होंगे और निजी क्षेत्र को करीब 10 खरब डॉलर का निवेश करना होगा।

उन्होंने उम्मीद जतायी कि निजी क्षेत्र की भारतीय कंपनियाँ इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए निवेश करेंगी। उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र ने एसडीजी के तहत 17 लक्ष्य रखे हैं जिन्हें 2030 तक हासिल किया जाना है। इनमें पूर्ण गरीबी उन्मूलन, सबके लिए भोजन, अच्छा स्वास्थ्य, गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा, लैंगिक समानता, साफ पानी और सेनिटेशन, असमानता में कमी, पर्यावरण संरक्षण के उपाय, पानी के नीचे जीवन, भूमि पर जीवन, शांति एवं न्याय और उद्योग, नवाचार तथा इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास शामिल हैं।


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