नर्मदा की 21 सहायक नदियों को बचाया जाना जरूरी : भूपेंद्र
र्मदा सेवा सेना के मध्यप्रदेश प्रभारी भूपेंद्र गुप्ता ने आज आरोप लगाते हुए कहा कि अवैध उत्खनन के चलते नर्मदा नदी की 21 सहायक नदियां खतरे में हैं, जिन्हे बचाया जाना जरूरी है

भोपाल। नर्मदा सेवा सेना के मध्यप्रदेश प्रभारी भूपेंद्र गुप्ता ने आज आरोप लगाते हुए कहा कि अवैध उत्खनन के चलते नर्मदा नदी की 21 सहायक नदियां खतरे में हैं, जिन्हे बचाया जाना जरूरी है।
श्री गुप्ता ने समन्वयक अभिनेता विक्रम मस्ताल शर्मा के साथ यहां एक संयुक्त प्रेस वार्ता में यह आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि 18 वर्षों में नर्मदा की सहायक नदियों पर अतिक्रमण और अवैध उत्खनन का प्रहार हुआ है। वे अब सूख रहीं हैं। नर्मदा को बचाने के लिये उन्हे भी बचाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि दुनिया की द्वितीय सबसे बड़ी ट्रेंच वैली जो पूरे देश का पेट भरने की क्षमता रखती है, नर्मदा का आंगन है। सतपुड़ा का आंचल दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मेगा बायोडायवर्सिटी है। इसे इन 18 सालों में सत्ता के रसूखदारों और सरमायेदारों ने खोखला कर दिया है। रेन फारेस्ट उजाड़ दिये गये हैं। शराब और नशे के कारोबार ने इसके सांस्कृतिक विस्तार को क्षति पहुंचायी है।
उन्होंने कहा कि नालों और उद्योगों के अपशिष्ट के मिलने से पानी की गुणवत्ता प्रभावित हुई है। जलीय जीवन नष्ट हुआ है। नदी के नैसर्गिक फिल्टरों को नष्ट कर दिया गया है। जीवनदायिनी नदी जो प्रदेश की 3 से 4 करोड़ आबादी का कंठ तर करती है और इतने ही लोगों का पेट भरने लायक खेती को सींचती है आज खुद खतरे में है। नर्मदा सेवा सेना एक गैर राजनीतिक मिजाज का संगठन है। जिसमें सभी नर्मदा भक्तों का स्वागत है।
श्री गुप्ता ने कहा कि सभी जानते हैं नर्मदा के पंचाट फैसले के पानी पर हमारा 2024 तक ही अधिकार है। अगर हमने इसके प्रवाह को नहीं बचाया तो नीचे राज्यों को तो पूरा पानी मिलेगा और हम अभावग्रस्त रहेंगे। नदी में अधिकतम प्रवाह 11 लाख घनमीटर प्रति सैकेंड तक रहता है। इसे बचाने की जरूरत है जो नर्मदा के कैचमेंट में जंगल और बायो डायवर्सिटी को सुरक्षित कर ही बचाई जा सकती है। वृक्षारोपण के सरकारी प्रयासों को भ्रष्टाचारी लील जाते है, इसलिये इसे जन अभियान बनाने की आवश्कता है।
उन्होंने कहा कि नदी की रक्षा में सभी रहवासी, शामिल हो सकते हैं। जो नर्मदा का पानी पीता है उसे रेवा मां की सुरक्षा का वचन अपने आपको देना है। ऐसी जागृति ही नर्मदा सेवा सेना का संकल्प है। कल नर्मदा मां की आरती के साथ इस अभियान के लिये सदस्य बनाने का कार्य प्रारंभ होगा। स्थानीय नर्मदा भक्त ही अभियान के संवाहक होंगे।
श्री गुप्ता ने कहा कि रेत की चोरी करने वाले राजस्व की भी चोरी कर रहे हैं और उसका कर्जा भी प्रदेश की जनता से वसूला जाता है। इन सब बातों के प्रति जागरूकता ही और कटिबद्धता ही एक रास्ता है जिससे इसे रोका जा सकता है ।नर्मदा सेवा सेना इसी संकल्प अभियान का नाम है, जिसके सदस्य मां नर्मदा के प्रति अपनी अगाध श्रद्धा से उसके बचाव के लिए सक्रिय रहेंगे। मां नर्मदा की आरती के साथ हम जगह-जगह नर्मदा सेवा की स्थानीय इकाइयों का गठन करेंगे।
उन्होंने कहा कि नर्मदा के महात्म्य के वर्णन के लिए डिजिटल माध्यमों का उपयोग करेंगे। कवियों, लेखकों और चिंतकों को इस अभियान से जोड़ेंगे। जन संगठनों से सहायता लेंगे।


