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दिल्ली में अधिकारियों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान ज़रूरी : कांग्रेस

कांग्रेस ने दिल्ली में तबादलों और नियुक्तियों को लेकर उच्चतम न्यायालय के फैसले के बीच केंद्र सरकार के इस संबंध में अध्यादेश लाने को औचित्यहीन बताते हुए कहा है कि न्यायालय के फैसले का सभी को सम्मान करना चाहिए

दिल्ली में अधिकारियों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान ज़रूरी : कांग्रेस
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नई दिल्ली। कांग्रेस ने दिल्ली में तबादलों और नियुक्तियों को लेकर उच्चतम न्यायालय के फैसले के बीच केंद्र सरकार के इस संबंध में अध्यादेश लाने को औचित्यहीन बताते हुए कहा है कि न्यायालय के फैसले का सभी को सम्मान करना चाहिए।

कांग्रेस महासचिव संगठन केसी वेणुगोपाल ने ट्वीट किया “पार्टी कानून के शासन में विश्वास करती है और साथ ही किसी राजनीतिक दल द्वारा विरोधियों के खिलाफ झूठ पर आधारित तथा बेवजह के टकराव और राजनीतिक विद्वेष के भाव से किये जाने वाले हमलों और अभियानों को नजरअंदाज नहीं करती है।”

इससे पहले कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में इस संबंध में पूछे गए सवाल पर कहा “इसमें भी एक अजीब विरोधाभास सामने आया है।

जब उच्चतम न्यायालय का निर्णय आया तो कांग्रेस पार्टी ने उसका स्वागत किया था। आज भी हमारा वही मत है कि माननीय उच्चतम न्यायालय का निर्णय सही था और जो संविधान के प्रावधान हैं, जो राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से संबंधित हैं, जिस पर बड़े विस्तार से सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने अपना मत व्यक्त किया है उसको माना जाना चाहिए और सरकार को उसका सम्मान करना चाहिए लेकिन अब सरकार इस पर एक तरफ अध्यादेश लाई है और दूसरी तरफ फैसले पर पुनर्विचार के लिए याचिका दायर कर रहे हैं।

यह भी शायद पहली बार हो रहा है कि अध्यादेश भी लाया जा रहा है और साथ ही पुनर्विचार याचिका भी हो रही है।”

उन्होंने कहा कि दिल्ली में तबादलों और नियुक्तियों पर केंद्र के अध्यादेश लाने के औचित्य पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस संविधान पीठ के फैसले के साथ है। केंद्र सरकार को उच्चतम न्यायालय के फैसले का सम्मान करना चाहिए।

जो फैसला उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ का है और सरकार पीठ के फैसले को चुनौती दे रही है। अगर चुनौती सरकार दे रही है तो उच्चतम न्यायालय की संवैधानिक पीठ ही उस पर अपना मत देगी।


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