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गांजा बेचना आसान,धान बेचना मुश्किल: केशव चंद्रा

   विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चल रही बहस में हिस्सा लेते हुए जैजैपुर से बसपा विधायक ने कहा कि किसान के नाम पर कोई नहीं सोचता सभी राजनीति कर रहे हैं

गांजा बेचना आसान,धान बेचना मुश्किल: केशव चंद्रा
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जांजगीर। विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चल रही बहस में हिस्सा लेते हुए जैजैपुर से बसपा विधायक ने कहा कि किसान के नाम पर कोई नहीं सोचता सभी राजनीति कर रहे हैं। हम विकास की लंबी-लंबी बातें कर रहे हैं। 6 हजार से 80 हजार करोड़ का बजट बढ़ा है।

इससे जो विकास हो रहा है वह स्वाभाविक विकास है। गांजा बेचने वाला सम्मान से गांजा बेच रहा है, उससे बदतर स्थति किसान की है। किसान को पंजीयन कराना पड़ रहा है, 15 क्विंटल से ज्यादा बेचने पर किसान को चोर की नजर से देखते हैं। जो फसल बीमा विधायकों को समझ नहीं आ रहा है, उसे किसान कैसे समझेंगे किस किसान को प्रीमियम के मुताबिक मुआवजा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जांजगीर-चाम्पा में कलेक्टर ने धान की फसल पर प्रतिबंध लगाने आदेश जारी किया है। जब रबी फसल में धान की अनुमति नहीं है तो ट्यूबवेल की अनुमति और सब्सिडी क्यों दी गई। छत्तीसगढ़ में धान के लिए अनुकूलन है,सब्जी-फल लगाने पर बाजार नहीं है। सरकार किसानों को संरक्षण दे।

धान खरीदी केंद्र में धान उठाव की व्यवस्था नहीं है,सरकार ने निर्धारित लक्ष्य से ज्यादा धान इकठ्ठा कर लिया है। विधायक केशव चंद्रा ने कहा कि सरकार किसान आत्महत्या को व्यक्तिगत कारण मानती है। आप जब अच्छे काम का श्रेय ले रहे हैं तो बुरे काम का भी श्रेय आपको लेना चाहिए। मेरे क्षेत्र में किसान ने स्टेट बैंक के ऋण के कारण आत्महत्या की। जांजगीर कलक्टोरेट में किसान ने आत्महत्या की उसे मुआवजा नहीं मिला। पके हुए फसल में कीट लग गया, सरकार बताए कि कितने किसानों को मुआवजा मिला। बसपा विधायक ने कहा कि, पहले 50 रुपए पटवारी को देकर नक्शा खसरा मिल जाता था आज ऑनलाइन में 1 हजार रुपये देकर भी 15 दिन इंतजार करना पड़ रहा है।

मनरेगा में केवल शौचालय बनाये जा रहे हैं। प्रदेश में पलायन हो रहा है, मजदूर का पलायन करना सरकार की विफलता है। बजट में अपने क्षेत्र में काम की स्वीकृति मिलती है, वित्तीय और प्रशासकीय स्वीकृति मिलती नहीं है, बजट केवल कागजों के लिए है। वास्तव में बजट के काम की समय सीमा पूरा करने में सरकार असफल है। उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा पीड़ा जनप्रतिनिधियों की है,सरकार ने त्रिस्तरीय पंचायत का महत्व समाप्त कर दिया।

सत्ता पक्ष के विधायकों को कलेक्टर सुन लें। प्रदेश में अधिकारी राज चल रहा है। पत्र का जवाब अधिकारी नहीं देते हैं। संविधान में अपनी बात रखने के अधिकार का हनन हो रहा है। मजदूर,किसान, नौकरीपेशा आंदोलन कर रहे हैं। सरकार सदन में संख्याबल के आधार पर विश्वास जीत लेगी। जनता का विश्वास कैसे जीतेगी। जैजैपुर विधायक ने कहा कि शिक्षाकर्मियों को अधिकार मांगने पर जेल मिली, उन्होंने अनुकम्पा नियुक्ति ही मांगी थी। रोजगार सहायक, रसोइया, कोटवार, मितानिन, प्रेरक सभी प्रदेश में आंदोलन कर है हैं। खनिज विकास निगम में गाइडलाइन का पालन नहीं हो रहा है।

सीएम ने कमीशन खोरी बंद करने की बात कही थी, जो कमीशन नहीं खा रहे थे उन्हें कमीशन खाने की याद आ गई। पुल-पुलिया से विकास नहीं होगा, व्यक्ति का विकास होगा तब विकास माना जायेगा। गरीब और गरीब, अमीर और अमीर हो रहा है, खाई बढ़ रही है। उक्ताशय की जानकारी विधायक मीडिया प्रभारी रमेश साहू ने दी।


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