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आईटी और एसओजी टीम ने दिल्ली से पकड़ा एजेंट : 1 करोड़ ब्लैक मनी और 5 करोड़ रुपए के मिले लेनदेन

ब्लैक को वाइट करने के मामले में इनकम टैक्स विभाग को एसओजी की टीम एक ओर बड़ी लीड मिली है

आईटी और एसओजी टीम ने दिल्ली से पकड़ा एजेंट : 1 करोड़ ब्लैक मनी और 5 करोड़ रुपए के मिले लेनदेन
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नोएडा। ब्लैक को वाइट करने के मामले में इनकम टैक्स विभाग को एसओजी की टीम एक ओर बड़ी लीड मिली है। सोमवार को दोनों टीमों ने दिल्ली के ग्रेटरकैलाश-1 में सर्च किया। वहां से 1 करोड़ कैश और 5 करोड़ रुपए के लेनदेन के दस्तवेज मिले। टीम ने कैश को सीज कर दिया है। इनकम टैक्स की एक सप्ताह में ये पांचवी बड़ी कार्यवाही है। अब तक करीब 4.25 करोड़ रुपए कैश मिल चुका है।

सूत्रों के मुताबिक इनफार्मेशन मिलने पर एसओजी और इनकम टैक्स के 10 टीमों ने दोपहर तीन बजे के आसपास दिल्ली के ग्रेटर कैलाश-1 स्थिति ढींगरा प्रापटीज के यहां पहुंची। ये टीम सर्वे करने गई थी। दस्तावेज और पूछताछ के दौरान 1 करोड़ रुपए कैश मिला। जिसे 1.5 करोड़ चेक से वाइट किया जाना था। जिसके बाद सर्वे को सर्च में तब्दील कर दिया गया। सर्च में ढींगरा प्रापटीज के मालिक राजीव ढींगरा से पूछताछ की जा रही है।

दरअसल नोएडा में बीते शुक्रवार को 2 करोड़ रुपए ब्लैक मनी के साथ आठ लोग पकड़े गए थे। जिसे यहां वाइट करने के लिए लाया गया था। एसओजी और इनकम टैक्स विभाग ने इन मामले की पड़ताल शुरू की। इसके बाद दिल्ली के करोलबाग में अपने 90 लाख रुपए की बेहिसाबी नकदी को 1.5 गुना आरटीजीएस में बदलने की कोशिश कर रहे एक व्यक्ति राकेश कुमार नाम का पकड़ा गया।

वहीं शीर्ष एजेंट में एक आदर्श श्रीवास्तव को शनिवार को लखनऊ में छापा मारकर इनकम टैक्स अधिकारियों ने पकड़ा था। इनकम टैक्स अधिकारियों से बचने के लिए इसमें खुद को बाहर से अपने घर में बंद कर लिया था। इसके बाद वह अपने घर से भागने की कोशिश कर रहा था। उसके पास से 100 करोड़ ब्लैक के ह्वाइट करने और काफी डाटा मिला है।

सीएसआर फंड को लेकर होता है खेल

दरअसल, बड़ी कंपनियों को सीएसआर फंड के तहत एक तय राशि सामाजिक कार्यों में खर्च करनी होती है। गिरफ्तार किए गए एजेंट CSR फंड में ही सेंध मारी शुरू कर दी थी। आरोपी बड़ी कंपनियों के मालिकों से संपर्क उनके सीएसआर फंड का हिस्सा अपनी फर्जी कंपनियों में डाल लेते थे। इसमें शर्त ये थी बड़ी कंपनियां आधा या कुछ कम पैसा वापस करने को कहती थी।

कैसे होता है 2 का 3 खेल इसे ऐसे समझे

इसे ऐसे समझे जैसे ए (ब्लेकमनी एजेंट) बी (शैल या फर्जी कंपनी) आौर सी (सीएसआर कंपनी)। सी कंपनी का सालाना टर्नओवर 100 करोड़ का है। नियम के तहत उसे टर्नओवर का 2 प्रतिशत पैसा सीएसआर फंड में खर्च कराना होता है। ये पैसा बचाने के लिए वह बी कंपनी को दो करोड़ रुपए देता है। शर्त ये है कि इसमें से एक करोड़ रुपए वापस सी को चाहिए।

अब बी कंपनी के एजेंट (ए) ऐसे लोगों को ढूढंते है जो ब्लैक मनी को वाइट करना चाहते है। बी कंपनी के पास ब्लैक मनी लेकर आने वाले लोगों को वह स्कीम बताता है कि आप यदि दो करोड़ रुपए ब्लैक के वाइट कराना चाहते है तो उसका 33 प्रतिशत कमीशन लगेगा और आपको आरटीजीएस के रूप में तीन करोड़ रुपए दूंगा। जिसमे एक करोड़ रुपए वापस मेरी दूसरी कंपनी में डालना होगा।

एक करोड़ रुपए जो बी कंपनी में आया उसे सी के साथ जो शर्त थी उसे वापस चेक के जरिए दे दिया। सी को पैसा मिल गया और बी कंपनी को दोनों तरफ से कमीशन और ए का ब्लैक मनी वाइट हो गया।

तीन श्रेणी में बटे है एजेंट

इनकम टैक्स अधिकारी ने बताया कि इस मामले में बी कंपनी के सैकड़ों एजेंट देश भर में सक्रिय है। जिनकी तीन कैटेगरी है शीर्ष, मध्ययम और लो। नोएडा पुलिस ने कुल नौ लोगों को पकड़ा था। इस गिरोह में एक महिला एजेंट भी है। जो अपने IAS/ IPS अधिकारी होने का दावा कर रही थी। ये शीर्ष एजेंट है।


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