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चंद्रयान के लैंडर ने जैसे ही चंद्रमा की सतह को छुआ, इसरो के अधिकारियों ने खुद काेे वहां महसूस किया

न केवल भारत का चंद्रमा लैंडर अब चंद्रमा पर है, बल्कि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के अधिकारियों ने भी खुद को वहां महसूस किया

चंद्रयान के लैंडर ने जैसे ही चंद्रमा की सतह को छुआ, इसरो के अधिकारियों ने खुद काेे वहां महसूस किया
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चेन्नई, न केवल भारत का चंद्रमा लैंडर अब चंद्रमा पर है, बल्कि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के अधिकारियों ने भी खुद को वहां महसूस किया। ये अधिकारी, जो चंद्रयान-3 मिशन की कामयाबी के लिए दिन-रात एक किए हुए थे, खुशी से उछल पड़े।

बेंगलुरु में इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) के मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अधिकारियों का पूरा समूह, इसरो अध्यक्ष एस. सोमनाथ के नेतृत्व में अपने-अपने मॉनिटर से चिपके हुए थे, वे चंद्रयान के चंद्रमा पर खड़े होते ही तालियां बजाने लगे। लैंडर सुरक्षित तरीके से धीरे-धीरे चंद्रमा की धरती पर उतर गया।

सभी को बड़ी राहत की भावना से मुस्कुराते हुए देखा गया और खासकर सोमनाथ, जिनके नाम का अर्थ चंद्रमा का स्वामी है।

चंद्रयान के चंद्रमा पर उतरने के बाद यू.आर. राव सैटेलाइट सेंटर के निदेशक एम. शंकरन ने कहा, “लोग चाहते थे कि हम सफल हों। इसरो की चंद्रयान-3 परियोजना टीम ने जबरदस्त प्रयास किया है। वे पिछले चार वर्षों से चंद्रयान-3 पर काम कर रहे हैं।''

शंकरन ने यह भी कहा कि चंद्रयान-3 टीम को नेविगेशन, प्रणोदन और अन्य टीमों का भरपूर सहयोग मिला। उनके अनुसार, इस सफलता ने उन पर और जिम्मेदारी डाल दी है।

उनहोंने का, “पूरा मिशन त्रुटिहीन और समय पर हुआ। चंद्रयान-3 के परियोजना निदेशक पी. वीरमुथुवेल ने कहा, भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के करीब जाने वाला दुनिया का पहला देश है।

चंद्रमा लैंडर की सुरक्षित लैंडिंग का जिक्र करते हुए एसोसिएट प्रोजेक्ट डायरेक्टर कल्पना ने कहा कि यह चंद्रयान-3 टीम के लिए सबसे उल्लेखनीय और खुशी का क्षण था।

उन्होंने कहा कि चंद्रयान-2 की विफलता से सीख लेते हुए टीम ने चंद्रयान-3 बनाने के बाद जो भी लक्ष्य निर्धारित किए गए थे, उन्हें हासिल कर लिया गया है।

यह याद किया जा सकता है कि कुछ साल पहले लैंडिंग के आखिरी चरण में विक्रम लैंडर जो चंद्रयान -2 मिशन का हिस्सा था, चंद्रमा पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।

उस दिन, इसरो के तत्कालीन अध्यक्ष के. सिवन सचमुच रो पड़े थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो लैंडिंग देखने आए थे, उन्‍हें सिवन को सांत्वना देनी पड़ी थी।

लेकिन बुधवार को इसरो अधिकारियों का मूड बिल्कुल उलट था।

सबसे दिलचस्प था सोमनाथ का शालीन व्‍यवहार। लैंडिंग की सफलता के बाद माइक पर एकाधिकार रखने के बजाय, उन्होंने अपना भाषण छोटा कर दिया और उन्‍होंने टीम के सदस्यों को अपनी बात रखने की अनुमति दी।

चंद्रमा के स्वामी - सोमनाथ - ने दिखाया कि वह एक मास्टर मैनेजर भी हैं।


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