इसरो ने खोज निकाला विक्रम
इसरो को चांद पर विक्रम लैंडर की स्थिति का पता चल गया है। ऑर्बिटर ने थर्मल इमेज कैमरा से उसकी तस्वीर ली हैं

नई दिल्ली। इसरो को चांद पर विक्रम लैंडर की स्थिति का पता चल गया है। ऑर्बिटर ने थर्मल इमेज कैमरा से उसकी तस्वीर ली हैं। हालांकि, उससे अभी कोई संचार स्थापित नहीं हो पाया है। ये भी खबर है कि विक्रम लैंडर लैंडिंग वाली तय जगह से 500 मीटर दूर पड़ा है। चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर में लगे ऑप्टिकल हाई रिजोल्यूशन कैमरा ने विक्रम लैंडर की तस्वीर ली है। अब इसरो वैज्ञानिक ऑर्बिटर के जरिए विक्रम लैंडर को संदेश भेजने की कोशिश कर रहे हैं ताकि, उसका कम्युनिकेशन सिस्टम ऑन किया जा सके। आने वाले 12 दिन इसरो के वैज्ञानिकों के लिए बेहद अहम माने जा रहे हैं। इसरो के विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि बेंगलुरु स्थित इसरो सेंटर से लगातार विक्रम लैंडर और ऑर्बिटर को संदेश भेजा जा रहा है ताकि कम्युनिकेशन शुरू किया जा सके।
चांद की सतह पर देखा गया विक्रम लैंडर
इसरो प्रमुख के सिवन ने बताया कि हमें विक्रम लैंडर के बारे में पता चला है, वह चांद की सतह पर देखा गया है। ऑर्बिटर ने लैंडर की एक थर्मल पिक्चर ली है। लेकिन अभी तक कोई संचार स्थापित नहीं हो पाया है। हम संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं। भविष्य में विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर कितना काम करेंगे, इसका तो डेटा एनालिसिस के बाद ही पता चलेगा।
वैज्ञानिक वास्तविकता का पता लगाने में जुटे
इसरो वैज्ञानिक अभी यह पता कर रहे हैं कि चांद की सतह से 2.1 किमी ऊंचाई पर विक्रम अपने तय मार्ग से क्यों भटका। इसकी एक वजह ये भी हो सकती है कि विक्रम लैंडर के साइड में लगे छोटे-छोटे 4 स्टीयरिंग इंजनों में से किसी एक ने काम न किया हो। इसकी वजह से विक्रम लैंडर अपने तय मार्ग से डेविएट हो गया। यहीं से सारी समस्या शुरू हुई, इसलिए वैज्ञानिक इसी प्वांइट की स्टडी कर रहे हैं।
ऑर्बिटर में लगे ऑप्टिकल कैमरा निभाएंगे अहम भूमिका
इसके अलावा चांद के चारों तरफ चक्कर लगा रहे ऑर्बिटर में लगे ऑप्टिकल हाई रिजोल्यूशन कैमरा से विक्रम लैंडर की तस्वीर ली जाएगी। यह कैमरा चांद की सतह पर 0.3 मीटर यानी 1.08 फीट तक की ऊंचाई वाली किसी भी चीज की स्पष्ट तस्वीर ले सकता है।
मिशन हो सकता है सफल, जुटे वैज्ञानिक
लैंडर विक्रम का अभी तक लोकेशन ही पता चला है, उससे संपर्क स्थापित नहीं हो पाया है। वह किस हाल में है, उसे नुकसान पहुंचा है या ठीक है, उल्टा है या सतह पर सीधा खड़ा है, इस बारे में पुख्ता तौर पर अभी कुछ पता नहीं चल पाया है। हालांकि, लैंडर से दोबारा संपर्क की उम्मीदें अभी भी जिंदा है। यानी चमत्कार की उम्मीद अभी भी है। लैंडर विक्रम के अंदर ही रोवर प्रज्ञान है, जिसे सॉफ्ट-लैंडिंग के बाद चांद की सतह पर उतरना था। इसरो के एक अन्य शीर्ष अधिकारी ने कहा कि चंद्रमा की सतह पर विक्रम की 'हार्ड-लैंडिंगÓ ने दोबारा संपर्क कायम करने को मुश्किल बना दिया है क्योंकि यह सहजता से और अपने चार पैरों के सहारे नहीं उतरा होगा। उन्होंने कहा कि चंद्रमा की सतह से टकराने के चलते लगे झटकों के चलते लैंडर को नुकसान पहुंचा होगा। संपर्क साधने की कोशिशें जारी हैं।


