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इस्लामिक स्टेट-खुरासान अब पाकिस्तान को सौंप रहा अपना युद्ध

इस्लामिक स्टेट-खुरासन (आईएस-के) अब अपना युद्ध पड़ोसी देश पाकिस्तान को सौंप रहा है, क्योंकि यह अफगानिस्तान में तालिबान के बढ़ते दबाव में है

इस्लामिक स्टेट-खुरासान अब पाकिस्तान को सौंप रहा अपना युद्ध
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नई दिल्ली। इस्लामिक स्टेट-खुरासन (आईएस-के) अब अपना युद्ध पड़ोसी देश पाकिस्तान को सौंप रहा है, क्योंकि यह अफगानिस्तान में तालिबान के बढ़ते दबाव में है। पिछले साल अगस्त में कब्जा करने के बाद से तालिबान ने आईएस-के आतंकवादियों के खिलाफ भयंकर युद्ध छेड़ रखा है। यह जानकारी आरएफई/आरएल ने दी।

आईएस-के ने पाकिस्तान में कई हाई-प्रोफाइल हमलों की जिम्मेदारी ली है, जो लगभग 22 करोड़ की आबादी वाले मुस्लिम राष्ट्र पर बढ़ते खतरे को रेखांकित करता है।

आईएस-के एक आत्मघाती हमलावर ने 4 मार्च को पेशावर के उत्तर-पश्चिमी शहर में एक शिया मस्जिद के अंदर खुद को उड़ा लिया। इस आत्मघाती हमले में कम से कम 64 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए। यह लगभग चार वर्षो में पाकिस्तान में हुआ सबसे घातक हमला था।

इस्लामिक स्टेट (आईएस) का स्थानीय सहयोगी आईएस-के पहली बार 2015 में उभरा। इसने अफगानिस्तान में अपने हिंसक अभियान चलाए। यह अफगान और विदेशी ताकतों के साथ-साथ अपने प्रतिद्वंद्वी आतंकवादी संगठन तालिबान के खिलाफ लड़ रहा है।

आरएफई/आरएल के मुताबिक, विशेषज्ञों का मानना है कि आईएस-के आतंकवादी अफगानिस्तान में अपने ठिकानों से चले गए हैं और उन्होंने प्रमुख पाकिस्तानी शहरों में सेल स्थापित किए हैं।

आईएस-के के हमलों ने पाकिस्तान में दहशत पैदा कर दी है। इसने तहरीक-ए तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के हमले नाटकीय ढंग से बढ़ते देखे हैं। एक प्रतिद्वंद्वी चरमपंथी समूह, जिसका अफगान तालिबान के साथ घनिष्ठ संबंध है।

आईएस-के इस साल पहले ही पांच हमले कर चुका है। 8 मार्च को आईएस-के ने सड़क किनारे बम की जिम्मेदारी ली, जिसमें सुरक्षा बलों के पांच सदस्यों की मौत हो गई और दक्षिण-पश्चिमी पाकिस्तान में 28 लोग घायल हो गए।

बढ़ते हमलों ने खैबर पख्तूनख्वा के पुलिस प्रमुख मोअज्जम जाह अंसारी को आईएस-के को 'टीटीपी की तुलना में प्रांत में शांति और सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा' घोषित करने के लिए प्रेरित किया।

कई आईएस-के लड़ाके टीटीपी के पूर्व सदस्य हैं, जिसे 2014 में बड़े पैमाने पर सैन्य हमलों के जरिए पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी कबायली क्षेत्र में अपने ठिकानों से खदेड़ दिया गया था।

लेकिन टीटीपी ने जल्द ही खुद को अफगान तालिबान के साथ युद्ध लड़ते हुए पाया। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से प्रतिद्वंद्विता तेज हो गई है।

अफगान आतंकवादियों ने आईएस-के सदस्यों के लिए एक राष्ट्रव्यापी खोज छेड़ दी है और यहां तक कि देश के छोटे सलाफी अल्पसंख्यक को भी निशाना बनाया है, ताकि समूह के सदस्यों के बीच से कथित समर्थन को रोका जा सके।

अफगान तालिबान ने प्रतिद्वंद्विता को रेखांकित करते हुए पेशावर में आईएस-के के घातक हमले की निंदा की। इस बीच, टीटीपी ने कहा कि इस तरह के हमलों से पाकिस्तान में उसके जिहाद या पवित्र युद्ध को तरजीह नहीं मिल पाएगी।


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