भारतीय तेल खरीदारों को रियायत में कटौती
ईरान की राष्ट्रीय तेल कंपनी ने भारतीय तेल कंपनियों के लिए भुगतान की अवधि को सामान प्राप्त करने के बाद 90 दिनों से घटाकर 60 दिनों के भीतर तक तय किया है।

ईरान ने की भारतीय तेल खरीदारों को रियायत में कटौती
नई दिल्ली। कई भारतीय तेल कंपनियों के 2017 में ईरान से कच्चे तेल के आयात में कमी लाने के फैसले को देखते हुए ईरान की राष्ट्रीय तेल कंपनी ने हाल ही में कच्चे तेल के इन भारतीय खरीदारों को दी जाने वाली रियायत में कटौती करने का फैसला किया है। रिपोर्ट के अनुसार ईरान की राष्ट्रीय तेल कंपनी ने भारतीय तेल कंपनियों के लिए भुगतान की अवधि को सामान प्राप्त करने के बाद 90 दिनों से घटाकर 60 दिनों के भीतर तक तय किया है। इसके साथ कच्चे तेल की परिवहन लागत में 40 प्रतिशत की छूट घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया है। पिछले दिनों कई भारतीय तेल कंपनियों ने 2017 में ईरान से कच्चे तेल के आयात में 30 लाख टन कम करने का फैसला किया। गौरतलब है कि ईरान, भारत का तीसरा बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता देश है। वह इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) और मंगलूर रिफाइनरी ऐंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (एमआरपीएल) जैसी भारतीय तेल आयातक कंपनियों को भुगतान के लिए 90-दिन का समय देता रहा है, जिसे अब घटाकर 60 दिन कर दिया गया है।
आईओसी और एमआरपीएल ईरान से कच्चे तेल की सबसे बड़ी खरीदार है। उन्होंने चालू वित्त वर्ष के दौरान ईरान से तेल आयात को पिछले साल के 50 लाख टन से घटाकर 40 लाख टन करने का फैसला किया है। भारत पेट्रोलियम और हिन्दुस्तान पेट्रोलियम भी आयात में पांच-पांच लाख टन की कटौती करेंगे। ये दोनों कंपनियां अब 15–15 लाख टन कच्चे तेल का आयात करेंगी।
ईरान से तेल आयात काफी आसान शर्तों पर होता रहा है। भारतीय रिफाइनिंग कंपनियों के लिए ये काफी आकर्षक रही हैं। तेल आयात का भुगतान 90 दिनों में करने के साथ ही ईरान सामान्य समुद्री भाड़े का 20 प्रतिशत ही भाड़ा लेता है। इसके विपरीत पश्चिम एशिया के दूसरे देश भुगतान के लिए 15 दिन से ज्यादा समय नहीं देते हैं। दरअसल, भारत ने तेहरान पर उसके फर्जाद-बी क्षेत्र को ओएनजीसी विदेश लिमिटेड को आवंटित करने के लिए दबाव बनाया। ओएनजीसी विदेश ने क्षेत्र में दस साल पहले खोज की थी और वह इसे विकसित करने का अधिकार चाहता है। क्षेत्र में 12,500 अरब घनफुट तेल-गैस का भंडार होने का अनुमान है। ईरान के तेल मंत्री बिजन झांगनेह ने आयात कटौती की किसी भी तरह की धमकी को दरकिनार करते हुए कहा, ‘हम धमकी के दबाव में समझौते नहीं करते हैं।’ ईरानी समाचार एजेंसी इरना ने झांगनेह के हवाले से कहा, ‘डराने धमकाने की भाषा का इस्तेमाल उचित नहीं है, ईरान का तेल खरीदने के लिए कई ग्राहक हैं और उनकी मांग हमारी निर्यात क्षमता से ज्यादा है।’ भारत, चीन के बाद ईरान का दूसरा बड़ा तेल खरीदार है। पश्चिमी देशों के प्रतिबंध के बावजूद भारत उन कुछ देशों में शामिल रहा है जो ईरान से तेल आयात करते रहे।


