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हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के करीबियों की घोटाले में संलिप्तता, ईडी ने किया खुलासा : सूत्र

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर अधिकारियों ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के प्रमुख सहयोगियों ज्ञान चंद और प्रभात चंद को राज्य में करोड़ों रुपये के घोटालों में शामिल पाया है

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के करीबियों की घोटाले में संलिप्तता, ईडी ने किया खुलासा : सूत्र
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नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर अधिकारियों ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के प्रमुख सहयोगियों ज्ञान चंद और प्रभात चंद को राज्य में करोड़ों रुपये के घोटालों में शामिल पाया है। सूत्रों के मुताबिक, ईडी और आईटी को आपत्तिजनक दस्तावेज मिले हैं जो उनकी संलिप्तता को उजागर करते हैं। बताया जाता है कि सुक्खू सरकार ने खुले तौर पर उनका पक्ष लिया, जिससे राज्य के खजाने को भारी वित्तीय नुकसान हुआ।

ईडी ने चार जुलाई को कांगड़ा के ज्वालामुखी तहसील के अधवानी गांव में मेसर्स जय मां ज्वाला स्टोन क्रशर और इसके मालिक ज्ञान चंद और अन्य संबंधित लोगों के परिसरों में तलाशी अभियान चलाया। इस दौरान, ईडी को हिमाचल प्रदेश में बड़े पैमाने पर अवैध खनन के बारे में आपत्तिजनक निष्कर्ष मिले।

एफआईआर, शिकायतों और फील्ड से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर ईडी ने पीएमएलए जांच शुरू की और 4 जुलाई, 2024 को कांगड़ा के ज्वालामुखी तहसील के अधवानी गांव में मेसर्स जय मां ज्वाला स्टोन क्रशर और इसके मालिक ज्ञान चंद के संबंधित परिसरों में तलाशी ली। सूत्रों ने बताया कि तलाशी के दौरान ईडी ने हिमाचल प्रदेश राज्य में बड़े पैमाने पर अवैध खनन के संबंध में साक्ष्य पाए हैं।

सूत्रों के अनुसार इसमें जांच के प्रारंभिक निष्कर्षों से पता चलता है कि ज्ञान चंद एक स्थानीय प्रभावशाली व्यवसायी और राजनीतिक तौर पर समृद्ध व्यक्ति हैं जो जिला कांग्रेस कमेटी के सदस्य हैं। उन्हें हिमाचल के मौजूदा सीएम सुक्खू का करीबी माना जाता है। वह मेसर्स जय मां ज्वाला स्टोन क्रशर के मालिक हैं। ईडी की जांच में पता चला है कि हालांकि स्टोन क्रशर के पास वैध लाइसेंस है, लेकिन बड़े पैमाने पर यहां विसंगतियां उजागर हुई हैं।

विसंगतियों के बारे में जो जानकारी मिल रही है उसके हिसाब से सूत्रों ने कहा नदी तल पर ही खनन किया जा रहा है। दूसरा ईडी के आग्रह पर, स्थानीय खनन अधिकारियों को बुलाया गया और उन्होंने एक सर्वेक्षण भी किया और सत्यापित किया कि लाइसेंस प्राप्त क्षेत्र के बाहर बड़े पैमाने पर अवैध खनन किया जा रहा है। तीसरा खनन सामग्री की बड़े पैमाने पर नकद बिक्री की जा रही है। चौथा अन्य क्षेत्रों से भी अवैध रूप से खनन की गई सामग्री को बिना वैध परिवहन परमिट के मंगाया और बेचा जा रहा है और बड़े पैमाने पर नकद लेनदेन किया जाता है।

पांचवां यहां बड़े पैमाने पर खनन ने यहां की पारिस्थितिकि तंत्र को नष्ट कर दिया है। सूत्रों ने कहा कि एनआरएसए के ऐतिहासिक मानचित्रों से तुलना करने पर पता चलेगा कि अकेले इस इकाई द्वारा सैकड़ों करोड़ रुपये का अवैध खनन किया गया है। छठा यहां रात के समय भी खनन कार्य किया जा रहा है।

सूत्रों के अनुसार ईडी को नकद लेनदेन, एक ही खाते में 8 करोड़ से अधिक की अवैध नकदी जमा और भूमि सौदों में नकदी के उपयोग के सबूत मिले हैं।

सूत्रों के मुताबिक ज्ञान चंद और उनके परिवार को राज्य सरकार से सड़क निर्माण आदि के कई टेंडर भी मिले हैं। ये टेंडर बेनामी नामों से हासिल किए गए हैं। इन निविदाओं में अवैध रूप से खनन की गई सामग्री का उपयोग किया जाता है, लेकिन अवैध लाभ कमाने के लिए बेनामी शेल संस्थाओं के नाम पर फर्जी बिल तैयार किए जाते हैं। स्थानीय अधिकारी बिना किसी गुणवत्ता जांच के कार्यों को मंजूरी दे रहे हैं और ज्ञान चंद को हस्ताक्षरित खाली निरीक्षण रिपोर्ट दे रहे हैं। इसके अलावा ज्ञान चंद और राजीव सिंह (हिमाचल के सीएम के भाई) ने अवैध खनन के लिए निकटवर्ती भूमि संपत्तियों का भी अधिग्रहण किया है।

सूत्रों ने आगे कहा कि निचले स्तर के सरकारी अधिकारी क्षेत्र के इस बड़े पैमाने पर हो रहे दोहन पर आंखें मूंदकर देख रहे हैं और संदिग्धों के साथ सक्रिय रूप से मिलीभगत कर रहे हैं। इस क्षेत्र के अवैज्ञानिक दोहन के कारण यह पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र अब भूस्खलन की चपेट में है।

सूत्रों ने बताया कि हिमाचल प्रदेश के आयकर, शराब और सिविल ठेकेदारों द्वारा की जा रही जांच में प्रभात चंद, उनके दामाद सौरभ कटोच और अजय कुमार सीएम सुक्खू और उनके रिश्तेदारों के भारी नकदी और बेहिसाब लेनदेन को संभाल रहे हैं। इस मामले में एपीआर कंस्ट्रक्शन कंपनी नाम की एक फर्म पर रसीदों का बड़े पैमाने पर हेराफेरी करने का संदेह है।

सूत्रों के मुताबिक हिमाचल पथ परिवहन निगम द्वारा किए गए भूमि अधिग्रहण के लाभार्थियों में प्रभात कुमार के साथ अजय कुमार भी शामिल थे। उनके द्वारा जमीन खरीदी गई। यह जमीन 2015 में 2,60,000/- रुपये में खरीदी की गई थी जिसे 2024 में एचआरटीसी 6.72 करोड़ रुपए में अधिग्रहण किया गया। ऐसे में यह आरोप लगाया गया है कि यह सरकारी खजाने को लूटने की एक योजना थी और खरीद से अत्यधिक ऊंची दरों पर जमीन का अधिग्रहण किया गया था।

सूत्रों ने बताया कि कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक द्वारा वन टाइम सेटलमेंट स्कीम (ओटीएस) के तहत यह नकद निपटान किया गया है। इस नकदी भुगतान को सुविधाजनक बनाने के लिए जिस मुख्य व्यक्ति का नाम सामने आ रहा है वह विक्की हांडा है जो हमीरपुर का एक प्रसिद्ध जौहरी है और उस पर इस कथित धोखाधड़ी वाली ओटीएस योजना में शामिल होने का संदेह था।


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