Top
Begin typing your search above and press return to search.

इन्वेस्टर्स समिट या एमओयू समिट, कागजों पर करोड़ों की बातें जमीन पर चौथाई भी खर्च नहीं

इंदौर में 11 से 12 जनवरी तक होने वाली 7वीं ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में 450 उद्योगपति हिस्सा ले रहे हैं। 65 देशों के प्रतिनिधियों व 20 देशों के डिप्लोमेट शामिल होंगे। समिट में 55 हजार करोड़ से अधिक के निवेश की उम्मीद है। 6 कंपनियों ने करीब 10 हजार करोड़ रुपए निवेश करने की सहमति दी है।

इन्वेस्टर्स समिट या एमओयू समिट, कागजों पर करोड़ों की बातें जमीन पर चौथाई भी खर्च नहीं
X
गजेन्द्र इंगले
इंदौर/भोपाल: इंदौर में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 11-12 जनवरी को होने वाली है। इससे पहले शिवराज सरकार के कार्यकाल में हुईं 6 समिट हो चुकी हैं। इंदौर में आयोजित की है रही ये प्रदेश की 7वी सम्मिट है। सन 2017 में वाइब्रेंट गुजरात की तर्ज पर पहली बार मध्यप्रदेश में इन्वेस्टर सम्मिट का आयोजन हुआ था।
अभी तक शिवराज सरकार के कार्यकाल में ऐसी 6 सम्मिट में 17 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव आए, जिसमें से जमीन पर डेढ़ लाख करोड़ से ज्यादा के प्रोजेक्ट उतरे हैं। इस आंकड़े से आप समझ सकते हैं कि ऐसी सम्मिट के आयोजन से पूर्व जितने बड़े दावे किए जाते है वे जमीनी हकीकत नहीं बन पाती हैं। इंदौर में होने वाली सम्मिट में शिवराज सिंह चौहान इसी तरह के कई दावे कर रहे हैं। जबकि पुरानी इन्वेस्टर सम्मिट का परिणाम सुखद नहीं रहा है।
इंदौर इन्वेस्टमेंट सम्मिट में शिवराज सरकार का फोकस ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल और फार्मा सेक्टर पर है। मुख्यमंत्री ने राज्य में निवेश के लिए दिल्ली, मुंबई, पुणे और बेंगलुरु में रोड शो आयोजित किए हैं। उन्होंने विभिन्न देशों के संभावित निवेशकों के साथ भी बातचीत की है। लेकिन इस बार एमपी को चुनौती उत्तर प्रदेश से है, जहां 10 से 12 फरवरी के बीच इसी तरह की समिट होना है।
यूपी की योगी सरकार पिछले 8 महीने से इसकी तैयारी में जुटी है। हकीकत में उत्तर प्रदेश की तैयारियां मध्यप्रदेश से ज्यादा हैं। ऐसा नहीं है कि मध्यप्रदेश में इस इन्वेस्टर सम्मिट के लिए तैयारी नहीं हुई हों। ऊपरी तैयारी तो खूब दिख रही है। लेकिन इन्वेस्टर्स से किसी तरह के कमिटमेंट की बात की गई है या हर इन्वेस्टर्स सम्मिट की तरह केवल कागज पर करोड़ों के एमओयू होने हैं। क्योंकि कोई पुख्ता योजना न होने से ऐसे एमओयू हकीकत नहीं बन पाते। पिछली इन्वेस्टर्स सम्मिट इसकी गवाह हैं।
2019 में कमलनाथ सरकार ने ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट की जगह मैग्निफिसेंट MP का आयोजन किया था। इस दौरान निवेश के लिए एमओयू नहीं हुए थे, बल्कि निवेशकों से प्रस्ताव लिए गए थे। इसमें 92 प्रस्ताव सरकार को मिले थे, जिसमें 74 हजार करोड़ के निवेश मध्य प्रदेश में करने का उल्लेख किया गया था। मैग्नीफिसेंट एमपी समिट 2019 के दौरान 850 करोड़ के 5 प्रोजेक्ट का लोकर्पण हुआ था। इसमें धार जिले में 373 करोड़ रुपए से बनने जा रही प्रदेश की पहली एकीकृत इंडस्ट्रियल टाउनशिप (स्मार्ट इंडस्ट्रियल पार्क) शामिल है। इसके अलावा 225.92 करोड़ रुपए की पीथमपुर जलप्रदाय योजना, 139 करोड़ रुपए से तैयार सिंहासा आईटी पार्क, 60 करोड़ रुपए का आईएसटीबी इंदौर और 51 करोड़ रुपए का आईटी कमांड एंड कंट्रोल सेंटर शामिल है।
सरकार का दावा है कि पिछले 15 साल में समिट के माध्यम से मध्यप्रदेश में आए निवेश से 2 लाख 37 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला है। लेकिन इतने सब दावों के बाद भी प्रदेश का युवा बेरोजगार है। प्रदेश के हज़ारों युवा रोजगार के लिए गुजरात महाराष्ट्र व अन्य राज्यों में पलायन करने को मजबूर हैं। इंदौर में 11 से 12 जनवरी तक होने वाली 7वीं ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (GIS) में 450 उद्योगपति हिस्सा ले रहे हैं।
65 देशों के प्रतिनिधियों के अलावा 20 देशों के डिप्लोमेट शामिल होंगे। समिट में 55 हजार करोड़ से अधिक के निवेश की उम्मीद जताई जा रही है। 6 कंपनियों ने करीब 10 हजार करोड़ रुपए निवेश करने की सहमति दे दी है। ये आंकड़े बड़े ही आकर्षक लग रहे हैं। यदि ये आंकड़े हकीकत बनते हैं तो प्रदेश की विकास की रफ्तार को गति मिलेगी। आर्थिक मजबूती की दौड़ में मध्यप्रदेश विकसित राज्यों के साथ खड़ा होगा। काश!!!


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it