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निवेशकों को फ्लैट मिले, बिल्डरों को प्राधिकरण ने दी राहत

 निवेशकों को फ्लैट पर कब्जा दिलाने के लिए ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने बिल्डरों को कई बड़ी राहत दी है

निवेशकों को फ्लैट मिले, बिल्डरों को प्राधिकरण ने दी राहत
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ग्रेटर नोएडा। निवेशकों को फ्लैट पर कब्जा दिलाने के लिए ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने बिल्डरों को कई बड़ी राहत दी है। प्राधिकरण के इस राहत देने से करीब 66 हजार निवेशकों के फ्लैट पर कब्जा मिलने का रास्ता साफ हो सकता है। इसके लिए प्राधिकरण को बिल्डरों को प्रोजेक्ट रीषेड्यूलमेंट के लिए समय प्रदान करना पड़ा।

साथ ही 11 बिल्डरों को शून्य अवधि काल का लाभ दिया गया। ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण का गुरुवार 111वीं बोर्ड बैठक में बिल्डरों को राहत देने के लिए इस तरह कई फैसले लिए गए है। प्राधिकरण ने औद्योगिक आबंटियों को भी इकाई क्रियाशील करने के लिए सितम्बर 2018 तक समय विलंब शुल्क साथ प्रदान किया है। 2005-06 से सीएजी ऑडिट को बोर्ड ने भी अनुमति प्रदान कर दी है। ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी देवाषीश पंडा ने बताया कि नोएडा व यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण की तरह ग्रेटर नोएडा ने प्रोजेक्ट सेटलमेंट पॉलिसी को 31 मार्च तक बढ़ा दिया गया है।

जिन बिल्डरों का 500 करोड से अधिक बकाया है वह दस प्रतिशत रकम जमा करके प्रोजेक्ट का रीषेड्यूलमेंट करा सकते है। इसी तरह 500 करोड़ से कम बकाएदार बिल्डर 15 फीसदी धनराशि जमाकर यह सुविधा कर सकते हैं। सीईओ ने बताया कि शासन ने रीषेड्यूलमेंट को लेकर प्राधिकरण को अपने स्तर से निर्णय लेने को कहा था। निवेशकों को फ्लैट पर कब्जा मिल सके इसलिए बिल्डरों को प्रोजेक्ट रीषेडूयलमेंट के लिए एक और मौका दिया गया है।

प्राधिकरण ने संकट में फंसे बिल्डर प्रोजेक्ट का ऑडिट एक एजेंसी से करा रहा है। प्रथम चरण में 25 बिल्डर के प्रोजेक्ट का ऑडिट हुआ। ऑडिट के बाद प्राधिकरण ने बिल्डरों की बैठक बुलाकर प्रोजेक्ट कब और कैसे पूरा करेंगा इस बारे में जवाब मांगा था। सीईओ ने बताया कि बोर्ड में ऑडिट रिपोर्ट को रखा गया है। इससे करीब 66000 निवेशकों को फ्लैट पर कब्जा मिल सकता है। बोर्ड ने 11 बिल्डरों को शून्यकाल का लाभ प्रदान किया है। इसमें निराला, पटेल, रद्रा, एसजेपी, कामरूप इंफ्राबिल्ड, गायत्री हास्पिलिटी, एंटीमेंट इंफ्रास्क्चर, गौड एंड संस बिल्डर शामिल है।

सीईओ ने बताया कि 42 बिल्डरों ने शून्य काल का लाभ लेने के लिए आवेदन किया था। इसके लिए एक कमेटी गठित की गई थी। कमेटी ने केस टू केस तथ्यात्मक रिपोर्ट तैयार करने के बाद 11 प्रोजेक्ट का शून्यकाल अवधि का लाभ दिया। ग्रुप हाउसिंग योजना के तहत 2009 से पहले जिन्हें भूखंड आबंटित किया गया था। उन्हें प्राधिकरण ने शर्तों के तहत घनत्व व एफएआर क्रय करने का अनुमति प्रदान कर दी है। यह लाभ उन्हें ही मिलेगा जिस बिल्डर के पास जमीन खाली पड़ी है और साथ ही दो तिहाई निवेशकों की सहमति हो।

बिल्डरों को अब प्रोजेक्ट क्रियाशील करने के लिए सिर्फ एक ही बार फीस देना होगा। पहले बिल्डरो को अस्थाई व स्थाई क्रियाशील प्रमाणपत्र हासिल करने पर दो बार फीस देना होता था। औद्योगिक आबंटियों को प्राधिकरण ने राहत देते हुए जिन आबंटियों ने 30 नवम्बर 2016 तक भूखंड का लीजडीड करा लिया है और इकाई क्रियाशील नहीं कर पाए है उन्हें विलंब शुल्क के साथ 30 सितम्बर तक समय प्रदान किया गया है। इससे करीब 800 आबंटियों को फायदा मिलेगा।

प्रदेश सरकार ने प्राधिकरण की कैग ऑडिट कराने का फैसला लिया था। कैग ने प्राधिकरण की ऑडिट शुरू कर दी है। प्राधिकरण बोर्ड ने 2005-2006 से सीएजी ऑडिट करने की अनुमति प्रदान कर दी है।


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