Top
Begin typing your search above and press return to search.

भारत में होगा आतंकी फंडिंग रोकने पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन

आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने के तरीकों पर चर्चा के लिए दिल्ली में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मंत्रिस्तरीय सम्मेलन शुक्रवार से शुरू होगा

भारत में होगा आतंकी फंडिंग रोकने पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन
X

आतंकी फंडिंग समेत वैध और नाजायज फंडिंग से कैसे निपटा जाए, इस पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन दिल्ली में शुक्रवार से शुरू होगा. सम्मेलन में 75 देशों और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे. सम्मेलन का आयोजन भारतीय गृह मंत्रालय करेगा. 18 और 19 को होने वाले इस सम्मेलन का विषय "आतंकवाद के लिए कोई धन" (एनएमएफटी) नहीं रखा गया है.

इस सम्मेलन में गृह मंत्री अमित शाह और अन्य नेता हिस्सा लेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सम्मेलन का उद्घाटन कर सकते हैं.

कश्मीर : आतंकी संगठन की धमकी के बाद पत्रकारों का इस्तीफा

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में आतंकवाद और आतंकी फंडिंग की वैश्विक प्रवृत्तियों, आतंकवाद के लिए धन के औपचारिक और अनौपचारिक स्रोतों, जैसे 'हवाला' या 'हुंडी' नेटवर्क के इस्तेमाल, उभरती प्रौद्योगिकियां एवं आतंकवाद का वित्तपोषण और आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने में पेश आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग जैसे विषयों पर चर्चा की जाएगी.

दिल्ली में होने वाला यह तीसरा सम्मेलन है इससे पहले इसी तरह के सम्मेलन पेरिस में 2018 और मेलबर्न में 2019 में हो चुके थे. भारत का कहना है कि पिछले दो सम्मेलनों में आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने के विषय पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बीच हुई चर्चा को आगे ले जाना है.

पिछले हफ्ते गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा था, "इसका इरादा आतंकवाद के वित्तपोषण के सभी आयामों के तकनीकी, कानूनी, विनियामक और सहयोग के पहलुओं पर चर्चा को शामिल करने का भी है. यह सम्मेलन आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने पर केंद्रित अन्य उच्चस्तरीय आधिकारिक और राजनीतिक विचार-विमर्श की गति को भी निर्धारित करने का प्रयास करेगा."

भारत: 26/11 का मुंबई हमला कभी नहीं भूलेंगे

पिछले हफ्ते गृह मंत्रालय के बयान में कहा गया वैश्विक स्तर पर विभिन्न देश कई वर्षों से आतंकवाद और उग्रवाद से प्रभावित हैं. अधिकांश मामलों में हिंसा का पैटर्न भिन्न होता है, लेकिन यह बड़े पैमाने पर लंबे समय तक सशस्त्र सांप्रदायिक संघर्षों के साथ-साथ एक अशांत भू-राजनीतिक वातावरण से उत्पन्न होता है. इस तरह के संघर्षों का नतीजा अक्सर कुशासन, राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक अभाव और बड़े अनियंत्रित क्षेत्र के रूप में सामने आता है. एक आज्ञाकारी राज्य की भागीदारी अक्सर आतंकवाद, विशेष रूप से इसके वित्तपोषण को बढ़ावा देती है.

भारत का कहना है कि उसने तीन दशकों से अधिक अवधि में कई प्रकार के आतंकवाद और इसके वित्तपोषण का सामना किया है, इसलिए वह इस तरह से प्रभावित राष्ट्रों के दर्द और आघात को समझता है.

इससे पहले भारत ने अक्टूबर में दो वैश्विक कार्यक्रमों-दिल्ली में इंटरपोल की वार्षिक आम सभा और मुंबई और दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद विरोधी कमेटी के एक विशेष सत्र की मेजबानी की थी.


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it