राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी के बहाने राज्यों के अधिकारों में हस्तक्षेप कर रही है केंद्र: अन्नाद्रमुक
पिछले दिनों लोकसभा में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सरकार के पक्ष में मतदान करने वाली अन्नाद्रमुक ने राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) के बहाने राज्यों के अधिकारों में हस्तक्षेप का केंद्र पर आ

नयी दिल्ली। पिछले दिनों लोकसभा में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सरकार के पक्ष में मतदान करने वाली अन्नाद्रमुक ने राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) के बहाने राज्यों के अधिकारों में हस्तक्षेप का केंद्र पर आज आरोप लगाया।
अन्नाद्रमुक के एम. थम्बीदुरई ने शून्यकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न में कहा कि विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए शुरू की जा रही कम्प्यूटर आधारित एनटीए राज्यों के अधिकारों में हस्तक्षेप है। उनके इस आरोप का विभिन्न विपक्षी दलों ने समर्थन किया।
थम्बीदुरई ने कहा कि मूलत: शिक्षा राज्य का विषय था, लेकिन बाद में इसे समवर्ती सूची में रखा गया और अब एनटीए के माध्यम से केंद्र सरकार का हस्तक्षेप शुरू हो चुका है। उन्होंने जोर देकर सरकार से जानना चाहा कि क्या वाकई एनटीए से ही परीक्षाएं कराना आवश्यक हैं?
उन्होंने कहा कि यदि एनटीए के तहत प्रतियोगिता परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं तो छात्र पाठ्यक्रम की पढ़ाई करने के बजाय प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी में साल भर जुटे रहेंगे और इस प्रकार शिक्षा का स्तर गिरेगा, न कि उससे कोई फायदा होगा। हां, कोचिंग सेंटरों की बाढ़ जरूर आ जायेगी।
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इन आरोपों के जवाब में कहा कि यह कहना कि इससे बच्चे पाठ्यक्रमों की पढाई नहीं करेंगे, गलत है।
उन्होंने कहा प्रत्येक वर्ष ढाई करोड़ विद्यार्थी बारहवीं की परीक्षा पास करते हैं, लेकिन उनमें से केवल करीब 24 लाख ही एनटीए परीक्षाओं में बैठते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया, ‘‘राज्य सरकारें पहले की तरह अपनी परीक्षाएं आयोजित करती रहेंगी।’’
जावड़ेकर ने कहा कि एनटीए परीक्षाओं को ऑनलाइन परीक्षा कहा जाना उचित नहीं होगा। यह केवल कम्प्यूटर आधारित परीक्षा होगी, जिसमें पेंसिल के बजाय माउस का इस्तेमाल किया जायेगा।


