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इंजेक्शन

रघु फिर साप्ताहिक हाट से निराश लौटा था। उसे जितनी उम्मीद थी, उससे बहुत कम दाम में सब्जियां बिकी थीं

इंजेक्शन
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- अरुण अर्णव खरे

रघु फिर साप्ताहिक हाट से निराश लौटा था। उसे जितनी उम्मीद थी, उससे बहुत कम दाम में सब्जियां बिकी थीं। हाट से लौटकर चुपचाप चारपाई पर लेट गया। फिर पत्नी से बोला- 'बड़ी मुश्किल से लागत निकल रही है। मेहनत का कोई मोल ही नहीं जैसे।

'ननकू को तो बहुत फायदा हो रहा है, कल ही उसने शरबती को पायलें लाकर दी हैं', परबतिया ने उत्सुकता से रघु की ओर देखा।

'ननकू शहर से कोई इंजेक्शन लाया है जिसे लगाने से सब्जियों का वजन ढाई-तीन गुना बढ़ जाता है, इसलिए उसे मुनाफा हो रहा है।'
'आप भी ननकू से पूछकर दवा ले आओ बाजार सेज् नहीं तो शहर जाके ठोकरें खानी पड़ेंगी', चिंतातुर परबतिया बोली।

पास बैठा पांच साल का बच्चा पंचम अचानक बोल पड़ा- 'बापू, माई सही बोल रही है, शहर से दो इंजेक्शन ले आना। एक सब्जी को लगाना और दूसरा मुझे, ताकि मैं जल्दी से बड़ा होकर आपका काम कर सकूं।'


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