सूचना प्रसारण मंत्रालय ने गठित की कमेटी, पत्रकार कल्याण योजना पर दो महीने में देनी होगी रिपोर्ट
सूचना और प्रसारण मंत्रालय की पत्रकार कल्याण योजना के दिशा-निर्देशों की समीक्षा कर जरूरी बदलाव करने की पहल हुई है

नई दिल्ली। सूचना और प्रसारण मंत्रालय की पत्रकार कल्याण योजना के दिशा-निर्देशों की समीक्षा कर जरूरी बदलाव करने की पहल हुई है। इस संबंध में गठित कमेटी दो महीने में अपनी रिपोर्ट देगी। मंत्रालय ने योजना में जरूरी बदलावों की सिफारिशें करने के लिए प्रसार भारती के सदस्य अशोक कुमार टंडन की अध्यक्षता में एक दस-सदस्यीय समिति का गठन किया है। मंत्रालय के इस निर्णय को मीडिया के इको स्पेस में हुए कई बदलावों, जिसमें कोविड-19 के कारण बड़ी संख्या में पत्रकारों की मृत्यु हो गई थी और 'श्रमजीवी पत्रकार' की परिभाषा का व्यापक आधार होना शामिल है, के संबंध में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पत्रकार कल्याण योजना, जोकि पिछले कई वर्षों से अस्तित्व में है। इसको देश के पत्रकारों के हित में भविष्य की ²ष्टि से लाभकारी बनाने और उसके कवरेज को व्यापक आधार देने की जरूरत है। ऑक्यूपेशनल, सेफ्टी, हेल्थ और वर्किं ग कंडीशन कोड 2020 के अधिनियमन के साथ पारंपरिक और डिजिटल मीडिया, दोनों, में काम करने वाले पत्रकारों को इसके दायरे में शामिल करने के लिए श्रमजीवी पत्रकार की परिभाषा को व्यापक बनाया गया है। इसके अलावा, इस योजना के तहत कल्याण और लाभ प्राप्त करने की ²ष्टि से मान्यता प्राप्त और गैर-मान्यता प्राप्त पत्रकारों के बीच संभावित समानता को भी जरूरी समझा गया।
सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने हाल के दिनों में उन पत्रकारों के परिवारों को अनुग्रह राशि देने के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं, जिनकी दुर्भाग्य से कोविड-19 के कारण मृत्यु हो गई। मंत्रालय द्वारा 100 से अधिक मामलों में प्रत्येक परिवार को पांच लाख रुपये की सहायता दी गई है।
समिति की ओर से दो महीने के भीतर समयबद्ध तरीके से अपनी रिपोर्ट दिए जाने की उम्मीद है। इसकी सिफारिशों से सरकार को पत्रकारों के लाभ के लिए नए सिरे से दिशा-निर्देश तैयार करने में मदद मिलेगी। अशोक कुमार टंडन की अध्यक्षता वाली इस समिति में सच्चिदानंद मूर्ति, स्वतंत्र शेखर अय्यर, पत्र सूचना कार्यालय में एडिशनल डीजी कंचन प्रसाद आदि शामिल हैं।


