प्रदूषण नियंत्रण के लिए उद्योग करें स्व-नियमन : जावड़ेकर
उद्योगों को अधिक स्वतंत्रता देते हुए सरकार कई उद्योगों के लिए प्रदूषण नियंत्रण पर एक स्व-नियमन (सेल्फ रेगुलेशन) तंत्र लागू करने को तैयार है, बशर्ते वह इसका जिम्मेदारी के साथ निर्वहन करें

नई दिल्ली। उद्योगों को अधिक स्वतंत्रता देते हुए सरकार कई उद्योगों के लिए प्रदूषण नियंत्रण पर एक स्व-नियमन (सेल्फ रेगुलेशन) तंत्र लागू करने को तैयार है, बशर्ते वह इसका जिम्मेदारी के साथ निर्वहन करें। यहां सोमवार को एक रासायनिक उद्योग सम्मेलन में पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि यह निर्णय लिया गया है कि अगर रासायनिक उद्योग में प्रदूषण का भार नहीं बढ़ता है, तो फर्मों को नियमित मंजूरी के लिए मंत्रालय से संपर्क करने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि यह आवश्यकता तभी उत्पन्न होगी, जब पर उद्योगों पर प्रदूषण का भार बढ़ेगा।
उन्होंने कहा कि रासायनिक उद्योग, जिसकी वैश्विक बाजार में पांच प्रतिशत हिस्सेदारी है, 10 फीसदी तक जा सकता है।
जावड़ेकर ने कहा कि ऐसे परिश्य में मोदी सरकार अपने उद्योगों पर भरोसा करना चाहती है और प्रदूषण मानकों पर स्व-नियमन देना चाहती है, अगर संस्थानों के पास पर्याप्त देखभाल व सुरक्षा उपाय हों।
'जिम्मेदार देखभाल' का एक उदाहरण देते हुए पर्यावरण मंत्री ने कहा कि इस दिवाली पटाखों की बिक्री और उपयोग में 75 प्रतिशत की गिरावट आई है, क्योंकि लोगों, खासकर बच्चों ने उनका उपयोग नहीं करने का फैसला किया।
उन्होंने कहा, "हम सब कुछ सरकारी विनियमित करने के पक्ष में नहीं हैं। सरकार स्टेकहोल्डर्स को प्रदूषण नियंत्रण पर नियमन सौंपने के लिए तैयार है।"
प्लास्टिक के उपयोग के बारे में मंत्री ने स्पष्ट किया कि नो प्लास्टिक (प्लास्टिक को ना) सरकार की मंशा नहीं है, बल्कि वह अपर्याप्त संग्रह और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन की समस्याओं का समाधान खोजना चाहती है।
उन्होंने उद्योगों से सरकार द्वारा विनियमन से बचने के लिए सतत विकास और स्व-नियामक तंत्र को बढ़ावा देने का आग्रह किया।


