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भारत का अनोखा ऐप ‘गुनगुनालो’ लॉन्च, संगीतकारों ने बताया क्या है खास

मुंबई के बांद्रा स्थित बीकेसी के जियो वर्ल्ड में अपनी तरह का एक अनोखा ऐप 'गुनगुनालो' लॉन्च किया गया

भारत का अनोखा ऐप ‘गुनगुनालो’ लॉन्च, संगीतकारों ने बताया क्या है खास
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मुंबई। मुंबई के बांद्रा स्थित बीकेसी के जियो वर्ल्ड में अपनी तरह का एक अनोखा ऐप 'गुनगुनालो' लॉन्च किया गया। इवेंट में जावेद अख्तर, शंकर महादेवन, पापोन और सोनू निगम समेत संगीत जगत के कई सितारे शामिल हुए। संगीतकारों ने बताया कि इसमें खास क्या है।

समीर अंजान, प्रसून जोशी, हरिहरन, राजू सिंह, शान, सलीम मर्चेंट, ललित पंडित, एहसान नूरानी, अमिताभ भट्टाचार्य, अरुणा सईराम, श्वेता मोहन, अनुषा मणि, मनन शाह, हरिहरन, शरली सिंह, सिद्धार्थ शंकर महादेवन, पापोन, जोशुआ समेत संगीत जगत से जुड़ी देश की 30 से अधिक हस्तियां ऐप लॉन्च इवेंट में शामिल हुईं।

सिंगर-कंपोजर शंकर महादेवन ने बताया, “'गुनगुनालो' एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जहां कलाकार और प्रशंसक एक परिवार के रूप में जुटेंगे। इस प्लेटफॉर्म पर ओरिजनल कंटेंट, गीत और फैंस के लिए सलाह मौजूद होगी। अपनी तरह का यह पहला आर्टिस्ट कलेक्टिव और कई विषयों वाला एक प्लेटफॉर्म है, जो संगीत, कविता और कहानी को एक मंच पर लाता है। यह ऐप आर्टिस्ट द्वारा आर्टिस्ट के लिए है।”

इवेंट में पहुंचे शान ने कहा, “संगीत वास्तव में एक थेरेपी है, लेकिन यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आप किस तरह का संगीत सुन रहे हैं। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि 'गुनगुनालो' जैसे प्लेटफॉर्म पॉजिटिव थेरेपी देते हैं। यह कभी भी 'पॉल्यूशन' नहीं फैलाता।”

जावेद अख्तर ने बताया, “यह दुनिया का पहला ऐसा ऐप है, जिसके मुख्य शेयरधारक संगीतकार, गीतकार और गायक हैं। हर कलाकार को रचनात्मक स्वतंत्रता दी गई है, जिसके तहत वे बिना किसी रोक-टोक के अपनी पसंद का संगीत बना सकते हैं और इसे 'गुनगुनालो' प्लेटफॉर्म पर साझा कर सकते हैं। हर कलाकार को साल में कम से कम चार रचनाएं, चाहे गाने, गजल, भजन या और कुछ भी, नया डालने की अनुमति है। इस प्लेटफॉर्म पर ऐसी कोई पाबंदी नहीं है। आप और आपके श्रोता के बीच कोई नहीं होगा।”

पापोन ने कहा, "'गुनगुनालो' एक ऐसा मंच है, जहां हम सभी एक साथ गुनगुनाएंगे। जावेद अख्तर साहब, शंकर महादेवन से लेकर मुझ जैसे कई कलाकार इस मंच पर एक साथ आ रहे हैं। मुझे लगता है कि यह दुनिया में पहली बार हुआ है। पहली बार कलाकारों ने एकजुट होकर फैसला किया कि हम अपनी खुद की संगीत कंपनी बनाएंगे, अपनी रचनाएं सीधे श्रोताओं तक पहुंचाएंगे। इसका कोई व्यावसायिक मकसद नहीं है, न ही इसकी कोई सीमा है। इस मंच पर हर तरह का संगीत, हर भाषा में, चाहे वह वाद्य संगीत हो, गीत हो, या कोई अन्य रचना, उपलब्ध होगा। 'गुनगुनालो' में हर भाषा और हर क्षेत्र के कलाकार शामिल होंगे।”


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