Top
Begin typing your search above and press return to search.

लोकतंत्र सूचकांक में भारत का स्तर गिरना चिंताजनक : कांग्रेस

कांग्रेस ने कहा है कि भारतीय लोकतंत्र का पूरी दुनिया में सम्मान है लेकिन इसे मापने के मापदंडों की कसौटी पर भारत कमजोर साबित हुआ है

लोकतंत्र सूचकांक में भारत का स्तर गिरना चिंताजनक : कांग्रेस
X

नयी दिल्ली। कांग्रेस ने कहा है कि भारतीय लोकतंत्र का पूरी दुनिया में सम्मान है लेकिन इसे मापने के मापदंडों की कसौटी पर भारत कमजोर साबित हुआ है जिसके कारण ताजा सूचकांक में हमारा लोकतंत्र पहली बार दस अंक गिरा है और यह चिंताजनक स्थिति है।

कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने बृहस्पतिवार को यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जब लोकतांत्रिक सूचकांक में भारत का स्तर गिरता है तो हमारे महान लोकतांत्रिक देश के लोगों के लिए यह स्वाभाविकरूप से चिंता का विषय बन जाता है। उन्होंने कहा कि एक सर्वेक्षण में भारतीय लोकतंत्र का सूचकांक गिरा है और यह पहला मौका है जब भारत इस सूचकांक में दस अंक नीचे उतरा है।

श्री सिंघवी ने कहा कि लोकतंत्र सूचकांक में भारत इस बार 41 नम्बर से घट कर 51 पर पहुंच गया है। लोकतंत्र को मापने वाला यह सूचकांक 2006 में शुुरु हुआ था लेकिन भारत पहली बार इतने ज्यादा अंकों के साथ इतने निचले स्तर तक गिरा है। उनका कहना था कि यह सूचकांक भले ही लोकतंत्र के कुछ ही मापदंडों के आधार पर तैयार हुआ है लेकिन यह विचारणीय है कि भारत जैसे लोकतंत्र में यह गिरावट क्यों आयी।

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को कम करने वाले चार मापदंडों पर भी यदि विचार करें तो भारत का स्तर सचमुच में गिरता हुआ महसूस होता है। उन्होंने कहा कि इसमें पहली कसौटी के तौर पर भय को लिया जा सकता है और शायद इस कसौटी पर देश के ज्यादातर लोगों का उत्तर हां ही होगा। देश में सच में भय का माहौल बढा है जो लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। दूसरा असहिष्णुता है और इस मापदंड पर भी जितने उदाहरण देखने को मिल रहे हैं और उन पर भी हम खुद को कमजोर पाते हैं।

प्रवक्ता ने इस क्रम में तीसरी कसौटी के रूप में द्वेष और प्रतिशोध को उदाहरण के तौर पर पेश किया और कहा कि द्वेष और प्रतिशोध का जो माहौल वर्तमान में यत्र तत्र देखने को मिल रहा है देश में यह संस्कृति पहले कभी देखने को नहीं मिली है। चौथे मापदंड के रूप में सामाजिक तथा धार्मिक एकता को लिया जा सकता है और इस पर हमारा लोकतंत्र कमजोर ही महसूस होता है।

उन्होंने कहा कि ब्रिटेन तथा अन्य कुछ मुल्कों के साम्राज्यवाद से करीब छह सात दशक पहले जो 30-40 देश आजाद हुए हैं उन सब में भारतीय लोकतंत्र अनोखा और विशिष्ठ है। हमारा लोकतंत्र दुनिया में सबसे बड़ा है और भारत जैसा लोकतंत्र आसपास के मुल्कों में कहीं भी नहीं है। लोकतंत्र के मापदंडों पर भारत की रैंकिंग कम होना देश के सभी लोगों को स्वाभाविक रूप से परेशान करने वाला है


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it