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भारत का वैश्विक डायरेक्ट सैलिंग रैंकिंग में सुधार, 15वें स्थान पर पहुंचा

भारत ने वर्ष 2019 में डायरेक्ट सैलिंग कारोबार में अपना बेहतरीन प्रदर्शन जारी रखते हुये वैश्विक डायरेक्ट सैलिंग बाजार रैंकिंग में चार अंकों का सुधार करते हुये 15वां पायदान हासिल कर लिया है।

भारत का वैश्विक डायरेक्ट सैलिंग रैंकिंग में सुधार, 15वें स्थान पर पहुंचा
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नई दिल्ली/चंडीगढ़ । भारत ने वर्ष 2019 में डायरेक्ट सैलिंग कारोबार में अपना बेहतरीन प्रदर्शन जारी रखते हुये वैश्विक डायरेक्ट सैलिंग बाजार रैंकिंग में चार अंकों का सुधार करते हुये 15वां पायदान हासिल कर लिया है।

देश में डायरेक्ट सैलिंग कम्पनियों के संगठन इंडियन डायरेक्ट सैलिंग एसोसिएशन (आईडीएसए) की अध्यक्ष रिनी सान्याल ने आज आयोजित एक वर्चुअल संगोष्ठि में अपने उद्घाटन सम्बोधन में यह जानकारी दी। उन्होंने अमरीका के वाशिंटन स्थित विश्व की 60 शीर्ष डायरेक्ट सैलिंग एसोसिएशनों की प्रतिनिधि संस्था वर्ल्ड फैडरेशन ऑफ डायरेक्ट सैलिंग एसोसिएशन्स (डब्ल्यूएफडीएसए) के वर्ष 2019 के कारोबार सम्बंधी हाल ही में जारी एक सर्वेक्षण के हवाले से बताया कि भारत वर्ष 2018 में विश्व रैंकिंग में 19वें स्थान पर था तथा गत तीन वर्षों के दौरान सालाना 12.1 प्रतिशत की औसतन विकास दर और 16.3 प्रतिशत की सर्वाधिक वक्रवृद्धि वार्षिक विकास दर (सीएजीआर) के साथ अपनी स्थिति में सुधार करते हुये विश्व के 20 बड़े डायरेक्ट सैलिंग बाजारों में 15वें स्थान पर आ गया है जो एक बड़ी उपलब्धि है।

उन्होंने कहा “भारतीय डायरेक्ट सैलिंग बाजार के लिये उत्तरोतर बढ़ती विकास दर एक अच्छा संकेत है और हमें उम्मीद है कि भारत एक दशक के पिछले अनुमानों की तुलना में बहुत पहले ही विश्व के इस क्षेत्र के पांच शीर्ष बाजारों में स्थान हासिल कर लेगा“।

सुश्री सान्याल ने बताया कि सर्वेक्षण के अनुसार भारत ने न केवल एशिया प्रशांत देशों में डायरेक्ट सैलिंग बाजार में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है बल्कि डायरेक्ट सैलिंग से जुड़े लोगों के संख्या के मामले में भी वह विश्व में छठे स्थान पर आ गया है यानि यह रोजगार सृजन की दृष्टि से देश में एक प्रमुख क्षेत्र के रूप में उभर रहा है। उन्होंने कहा कि डायरेक्ट सैलिंग हर उम्र वर्ग के लोगों को अपनी आजीविका कमाने, विशेषकर महिलाओं को स्वावलम्बी एवं सशक्त बनने, अंशकालिक कार्य कर अतिरिक्त आय सृजित करने और विशेषकर युवाओं के लिये स्टार्ट अप का अवसर प्रदान करता है।

“डायरेक्ट सैलिंग कारोबार की आधुनिक अवधारणाओं को शैक्षिक पाठ्यक्रम में शामिल करने की आवश्यकता“ विषय पर आयोजित इस संगोष्ठी का आयोजन आईडीएसए और हिमाचल प्रदेश में सोलन स्थित शूलिनी विश्वविद्यालय ने संयुक्त रूप से किया। संगोष्ठी में अन्य वक्ताओं ने डायरेक्ट सैलिंग को स्नातक और स्नात्कोत्तर पाठ्यक्रमों में शामिल करने पर भी जोर दिया।

अपने मुख्य सम्बोधन में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के नीति एवं शैक्षणिक योजना ब्यूरो के सलाहकार आर. हरिहरन ने डायरेक्ट सेलिंग के अच्छे पहलुओं को आम आदमी तक पहुंचनाने की जरूरत पर बल देते हुये कहा कि यह डायरेक्ट सैलिंग क्षेत्र और आम जन दोनों के लिये फायदे की बात होगी। उन्होंने कहा कि प्रबंधन शिक्षा (मैनेजमेंट ऐजूकेशन) में भी डायरेक्ट सैलिंग को एक विशेष पाठ्यक्रम में रूप में शामिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में देश के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य में डायरेक्ट सैलिंग की अहम भूमिका होगी।
संगोष्ठी में उपभोक्ता मामलों के पूर्व केंद्रीय सचिव हेम पांडे, उड़ीस सरकार के सलाहकार और उड़ीसा की नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर बेजॉन मिश्रा, डायरेक्ट सैलिंग उद्योग के प्रतिनिधियों तथा अन्य शिक्षाविदों ने भी डायरेक्ट सेलिंग के शैक्षणिक परिप्रेक्ष्य पर अपनी राय व्यक्त की।


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