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भारतीय संगीत को बॉलीवुड के दायरे से बाहर आना होगा : सोना महापात्रा

गायिका सोना महापात्रा का मानना है कि भारतीय संगीत एक विशाल महासागर है, फिर भी हमारा सारा ध्यान छोटे से तालाब यानी बॉलीवुड पर केंद्रित रहता है।

भारतीय संगीत को बॉलीवुड के दायरे से बाहर आना होगा : सोना महापात्रा
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मुंबई | गायिका सोना महापात्रा का मानना है कि भारतीय संगीत एक विशाल महासागर है, फिर भी हमारा सारा ध्यान छोटे से तालाब यानी बॉलीवुड पर केंद्रित रहता है। अब यह बदलाव का समय है। सोना महापात्रा ने कहा, "मैं हमेशा पंजाबी कलाकारों के गैर-फिल्मी गीतों की लोकप्रियता से चकित रही हूं और सभी जानते हैं कि उनके गाने किसी भी कार्यक्रम, उत्सव का हिस्सा रहते हैं। इसका एक उदाहरण 'तारे गिन' जैसे गाने हैं, जिसे पूरे भारत में पसंद किया जाता है और यह सदाबहार है। इन गानों को बाद में बॉलीवुड में इस्तेमाल किया गया, अब आप समझ सकते हैं कि सुपरहिट गाने बनाने के लिए बॉलीवुड के मार्केटिंग क्लू की जरूरत नहीं।"

गायिका ने आगे कहा, "बॉलीवुड ने बीते दो दशकों से हिंदी फिल्मों के गाने के स्तर को नीचे गिराया है। इसी वजह से इसने क्रिएटिविटी और सांस्कृतिक विश्वसनीयता खो दी है। यह अगले गुलजार, मजरूह या अमिताभ भट्टाचार्य, या मदन मोहन, विशाल भारद्वाज या अगले शंकर महादेवन के लिए इनक्यूबेटर नहीं है, बल्कि यह प्रतिभा का मनोबल गिराने वाला है।"

उन्होंने आगे कहा, "अगर ऐसा ही रहा तो अगला एआर रहमान, अमित त्रिवेदी, राम संपत, शान या फिर डिवाइन कहां से उभर कर आएंगे? इसका जवाब यही है कि वे उसी जगह से आएंगे, जहां से लकी अली, केके या फिर कि मैं, सोना महापात्रा आई थी। इंडी गानों से।"

सोना ने आगे कहा, "हमें कलाकारों और क्रिएटर्स को आपस में सहयोग करने और सदाबहार धुनों और गीतों को बनाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए, जिससे की आने वाली पीढ़ियां प्रेरित हो सकें। हर पीढ़ी की अपनी अनूठी आवाज और नजरिया होता है। हमें उन अलग-अलग आवाजों को सुनने के लिए स्पेस बनाने की आवश्यकता है। म्यूजिक स्ट्रीमिंग में ऐसा बिल्कुल हो सकता है, बशर्ते कि वे बॉलीवुड म्यूजिक माफिया से छुटकारा पाने के लिए तैयार हों।"


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