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भारत के सबसे बड़े आईपीओ के बाद एलआईसी की बाजार में खराब शुरुआत

भारत की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की शेयर बाजार में धीमी शुरुआत हुई है.

भारत के सबसे बड़े आईपीओ के बाद एलआईसी की बाजार में खराब शुरुआत
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पिछले कई महीनों से एलआईसी के आईपीओ की चर्चा थी. भारत के इतिहास में यह अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ था जिसके जरिए सरकार ने जीवन बीमा निगम की 3.5 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर लगभग डेढ़ खरब रुपये जुटाए हैं. एलआईसी के आईपीओ की कीमत 949 रुपये प्रति शेयर रखी गई थी लेकिन पहले दिन बाजार बंद होने के वक्त इसकी कीमत गिरकर 875 रुपये पर पहुंच गई.

एलआईसी की कीमत लगभग 60 खरब रुपयेआंकी गई है. लेकिन उसका शेयर बाजार में पूरा दिन दबाव का शिकार रहा और आखिर में 7.75 प्रतिशत की गिरावट के साथ 875.44 रुपये के भव पर बंद हुआ. जानकारों के मुताबिक भाव में इस तरह का धीमापन बाजार की मांग का इम्तेहान भी हो सकता है क्योंकि भारत सरकार कई और सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचकरअपना घाटा पूरा करने की कोशिश में है. भारत सरकार 16.6 खरब डॉलर के अनुमानित बजट घाटे से जूझ रही है.

बाजार विश्लेषक अरुण केजरीवाल कहते हैं कि एलआईसी के बाजार में पहले ही दिन गिरावट एक तरह का सबक था कि सरकार यदि और अधिक हिस्सेदारी बेचना चाहती है तो उसे निवेशकों को भरोसा दिलाने के लिए और ज्यादा कोशिश करनी होगी.

छोटे निवेशकों की दिलचस्पी

एलआईसी के आईपीओ की चर्चा इसलिए भी ज्यादा थी कि क्योंकि इसमें छोटे निवेशकों की खासी दिलचस्पी देखी गई थी. ऐसे लोगों की बड़ी तादाद थी जिन्होंने एलआईसी का शेयर खरीदने के लिए डीमैट अकाउंट खुलवाए और पहली बार शेयर बाजार में प्रवेश किया. आईपीओ के लिए कुल शेयरों से तीन गुना अर्जियां आई थीं.

30 वर्षीय आयुष ऐसे ही निवेशक हैं जिन्होंने एलआईसी के रूप में पहली बार शेयर खरीदे हैं. वह पहले दिन की गिरावट से ज्यादा परेशान नहीं हैं. वह कहते हैं, "मैं जानता था कि शुरुआत बहुत बड़ी नहीं होगी लेकिन मुझे इससे फर्क नहीं पड़ता. मैंने लंबी अवधि के लिए शेयर खरीदे हैं.”

दुनियाभर में फिलहाल शेयर बाजारों की हालत बहुत अच्छी नहीं है. भारत में भी साल की शुरुआत से ही बाजार ऊपर-नीचे होता रहा है. शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक इस साल अब तक विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से 17.1 खरब रुपये निकाल चुके हैं. अमेरिका में मौद्रिक नीति के सख्त होने को इसकी बड़ी वजह माना गया है.

आईपीओ का लाभ

एलआईसी की स्थापना 1956 में 240 से ज्यादा छोटी-बड़ी कंपनियों को मिलाकर की गई थी. साल 2000 तक तो भारतीय जीवन बीमा निगम का इंश्योरेंस बाजार पर एकाधिकार था. उसके बाद निजी कंपनियों को इस क्षेत्र में आने की इजाजत दी गई लेकिन आज भी एलआईसी की भारत बाजार में हिस्सेदारी सबसे अधिक यानी करीब 61 फीसदी है. उसके पास 13 लाख एजेंट हैं, जिसके जरिए उसकी पहुंच सबसे अधिक लोगों तक है. खासकर ग्रामीण क्षेत्र में कोई और कंपनी उसे चुनौती नहीं दे पाई है. लेकिन आईपीओ लाते वक्त एलआईसी ने घोषणा में कहा था कि इस बात की कोई गारंटी नहीं दी जा सकती कि बाजार में उसकी हिस्सेदारी और कम नहीं होगी.

फिर भी, 140 करोड़ लोगों के देश में जीवन बीमा की संभावनाओं को विश्लेषक उत्साहित होकर देखते हैं. अरुण केजरीवाल कहते हैं, "पिछले दो-तीन साल में तो एलआईसी ने वापसी की है. और कोविड ने तो उसकी किस्मत पलट दी है.” वह कहते हैं कि शेयर बाजार में आने से एलआईसी में पारदर्शिता बढ़ेगी. उन्होंने कहा, "आईपीओ एलआईसी को और ज्यादा प्रभावशाली बनाएगा.”


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