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भारतीय शिक्षा प्रणाली सस्ती होनी चाहिए : सत्यपाल सिंह

केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री सत्यपाल सिंह ने कहा कि भारत में 75 प्रतिशत ऐसे छात्र हैं जो उच्च शिक्षा से वंचित हैं

भारतीय शिक्षा प्रणाली सस्ती होनी चाहिए : सत्यपाल सिंह
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पुणे। केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री सत्यपाल सिंह ने कहा कि भारत में 75 प्रतिशत ऐसे छात्र हैं जो उच्च शिक्षा से वंचित हैं। ऐसे में शिक्षा में सुधार लाने की जरूरत है। ऐसी शिक्षा जिसे आसानी से हर कोई ग्रहण कर सकता है व साथ ही परिणामों का विश्लेषण भी आसानी से किया जा सकता है।

पुणे में आयोजित दूसरे नेशनल टीचर कांग्रेस (एनटीसी) सम्मलेन में सिंह ने कहा कि शिक्षकों को आगे आकर छात्रों की सोच व मानसिकता को बदलने का काम करना चाहिए। वैसे भी अच्छे शिक्षकों के बिना देश प्रगति नहीं कर सकता।

एनटीसी का आयोजन प्रोफेसर विश्वनाथ कराड एमआईटी विश्व शांति विश्वविद्यालय द्वारा किया गया। इस तीन दिवसीय आयोजन को महाराष्ट्र सरकार, एआईसीटीई, भारतीय विश्वविद्यालय, भारतीय छात्र संसद, केंद्रीय मानव संसाधन-विकास मंत्रालय के साथ अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद व मानव अधिकारों के लिए यूनेस्को अध्यक्ष का समर्थन मिला।

इस कार्यक्रम में यूजीसी के पूर्व अध्यक्ष डी.पी. अग्रवाल को भारत में शिक्षा क्षेत्र में उनके योगदान के लिए जीवन गौरव पुरस्कार से नवाजा गया। सम्मान प्राप्त करने के बाद सभा को संबोधित करते हुए डॉ. डी.पी. अग्रवाल ने कहा, "शिक्षकों को छात्रों के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए और लगातार बातचीत करते रहना चाहिए।"

भारत रत्न डॉ सी एन आर राव ने कार्यक्रम को संबोधन करते हुए कहा, "भारत में कई गांव ऐसे हैं जहां छात्र में बहुत कुछ करने की क्षमता है, लेकिन मौके नहीं मिल पाते। ऐसे में शिक्षकों की जिम्मेदारी बनती है कि वे उन छात्रों में से आइंस्टाइन व न्यूटन की तलाश करें। आज के दौर में शिक्षकों को क्रिएटिव तरीके से छात्रों को शिक्षा प्रदान करनी चाहिए। इससे छात्र जल्दी से चीजें सीखते हैं और बेहतर प्र्दशन करते हैं। साथ ही किताबी ज्ञान के साथ-साथ प्रैक्टिकल ज्ञान से भी मुखातिब होने का मौका मिलता है।"

राव ने कहा, "भारत में नब्बे प्रतिशत शिक्षक ऐसे हैं जिन्हें पता ही नहीं कि वे पढ़ा क्या रहे हैं। ज्यादातर शिक्षकों को पर्याप्त जानकारी नहीं है। इसको बदलने और शिक्षकों की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए उन्हें शिक्षित करना सख्त आवश्यक है। विश्व में फिनलैंड पहला ऐसा देश है जहां शिक्षकों की पढ़ाने की क्षमता बाकी देशों से कहीं ज्यादा बेहतर है। इसके बाद दूसरे स्थान पर है दक्षिण कोरिया, जबकि भारत शीर्ष 20 में भी नहीं है।"

देश के विभिन्न हिस्सों से हजारों शिक्षक प्रतिनिधियों ने 'नेशनल टीचर कांग्रेस' में भाग लिया, जिसका उद्देश्य है कि ऐसा वातावरण बनाया जाए जहां से शिक्षा को सही तरीके से प्राप्त किया जा सके।


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