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भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत विकास के लिए तैयार, 'गोल्डीलॉक्स अवधि' में कर रही प्रवेश

प्रमुख ग्लोबल एक्सपर्ट के अनुसार नए निवेश में आई उछाल और वित्त वर्ष 2025 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 7 फीसदी की दर से बढ़ने के अनुमान के बीच शेयर बाजार रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है

भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत विकास के लिए तैयार, गोल्डीलॉक्स अवधि में कर रही प्रवेश
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नई दिल्ली। प्रमुख ग्लोबल एक्सपर्ट के अनुसार नए निवेश में आई उछाल और वित्त वर्ष 2025 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 7 फीसदी की दर से बढ़ने के अनुमान के बीच शेयर बाजार रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है। भारतीय अर्थव्यवस्था ग्रोथ और प्रॉफिटेबिलिटी के लिए आदर्श परिस्थितियों के बीच "गोल्डीलॉक्स अवधि" में प्रवेश कर रही है।

ओल्ड ब्रिज म्यूचुअल फंड के केनेथ एंड्रेड के अनुसार सभी मापदंडों पर मजबूत बुनियादी बातों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास के लिए आदर्श स्थितियां हैं।

एक रिपोर्ट में एंड्रेड ने विभिन्न क्षेत्रों पर एक सतर्क लेकिन आशावादी दृष्टिकोण जाहिर करते हुए कहा कि बुनियादी ढांचे, आईटी और रसायन के साथ रियल एस्टेट जैसे चुनिंदा क्षेत्र रुचि के क्षेत्र हैं।

एक मजबूत आर्थिक माहौल के बारे में बात करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि हमारी कॉर्पोरेट क्षमता का उपयोग 90 प्रतिशत के करीब है, जो चालू वित्त वर्ष के लिए बढ़ते लाभ का एक मजबूत संकेतक है।

इसमें कहा गया है, "निवेशकों को कम कीमत वाले अवसरों की तलाश करने के बजाय विकासपरक व्यवसायों के साथ जुड़ना चाहिए, जो दुर्लभ है।"

ओल्ड ब्रिज म्यूचुअल फंड रिपोर्ट ने विकास व्यवसायों के साथ जुड़ने और आकर्षक मूल्यांकन पर निवेश के अवसरों के लिए धैर्य रखने के महत्व पर जोर दिया।

भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुसार, 2024-25 की दूसरी तिमाही भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी के संकेतों के साथ शुरू हुई है, क्योंकि इस दौरान कृषि में सुधार और ग्रामीण खर्च में बदलाव इसके लिए बेहतर माहौल पैदा कर रहा है साथ ही मांग बढ़ने के साथ इसमें ग्रोथ संभव है।

एनएसएसओ के हालिया मासिक प्रति व्यक्ति व्यय (एमपीसीई) के लिए कराए गए सर्वेक्षण में बताया गया है कि ग्रामीण खर्च शहरी क्षेत्रों से आगे निकलने के साथ ही ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के बीच की दूरी कम हो रही है।

भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए इसकी हिस्सेदारी सकल घरेलू उत्पाद के 20-25 प्रतिशत तक पहुंचाने की आवश्यकता है।

इस बीच, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने "विशेष रूप से ग्रामीण भारत में निजी खपत में सुधार" के मद्देनजर 2024-25 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि का अनुमान 6.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 7 प्रतिशत कर दिया है।

अग्रणी उद्योग चैंबर फिक्की ने भी वर्ष 2024-25 के लिए वार्षिक औसत जीडीपी वृद्धि दर 7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।


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