नोएडा एयरपोर्ट के टर्मिनल बिल्डिंग में भारतीय संस्कृति की दिखेगी झलक
यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ क्रिस्टोफ श्लेमैन ने गुरुवार को ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट की अब तक की प्रगति रिपोर्ट साझा की

ग्रेटर नोएडा। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट जेवर को समय से पहले शुरू करने की तैयारी है। काम तेजी से और समय से पहले पूरा हो, इसके लिए पांच गुना अधिक कर्मचारी लगाए जाएंगे।
डिजिटल तरीके से संचालित होने वाले इस एयरपोर्ट में भारतीय संस्कृति की झलक दिखेगी। टर्मिनल बिल्डिंग में हरिद्वार और वाराणसी के घाटों का एहसास होगा तो यहां आंगन (यात्रियों के बैठने की जगह) में बैठ कर आप अपनी फ्लाइट का इंतजार कर सकेंगे। ऐसा अनुमान है कि शुरुआत में यहां से हर महीने से 10 लाख यात्री अपनी यात्रा की शुरुआत करेंगे।
जेवर एयरपोर्ट का पहले चरण 1334 हेक्टेयर में बनाया जा रहा है। यह चार फेज में पूरा होगा। यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ क्रिस्टोफ श्लेमैन ने गुरुवार को ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट की अब तक की प्रगति रिपोर्ट साझा की।
उन्होंने कंसेशन एग्रीमेंट से लेकर अब तक हुए कामों की चर्चा की। बताया कि यह अपने आप में अलग तरह का एयरपोर्ट होगा, जो दुनिया के लिए एक उदाहरण होगा। पहले चरण के फर्स्ट फेस में 5730 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। विकासकर्ता कंपनी के सीईओ ने कहा कि एयरपोर्ट सितंबर 2024 तक संचालित करने का लक्ष्य है।
हालांकि इससे पहले एयरपोर्ट को शुरू करने की योजना है। अभी वहां 1000 कर्मचारी निर्माण कार्य में लगे हैं। इसकी संख्या 5000 तक हो जाएगी। ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट की शुरुआत में हर महीने 10 लाख यात्री आने की संभावना है। पहले चरण 4 फेज पूरे होंगे तो यहां 7 करोड़ यात्री सालाना आएंगे। जेवर एयरपोर्ट यात्रियों के लिए अत्याधुनिक तकनीक से लैस होगा।
इसमें इंटीग्रेटेड सिस्टम होगा। नेविगेशन, पैसेंजर फ्लोर मैनेजमेंट एवं स्मार्ट फोन द्वारा चेक इन की सुविधा होगी। या यू कहें कि यह पेपरलेस होगा। यह अपनी तरह अनूठा एयरपोर्ट होगा। जेवर एयरपोर्ट में वीवीआइपी टर्मिनल, जरनल एविएशन टर्मिनल और प्राइवेट जेट और हेली टैक्सी की गतिविधियां भी संचालित होंगी।
एयरपोर्ट में भारतीय संस्कृति की झलक दिखेगी। टर्मिनल बिल्डिंग के बाहरी कोर्ट की सीढ़ियां में वाराणसी और हरिद्वार के मशहूर घाटों की झलक दिखेगी। यहां नदियों का एहसास मिलेगी। यात्री टर्मिनल बनाई जाने वाली जालीदार स्क्रीन में भारतीय वास्तुकला दिखेगी।
एयरपोर्ट की टर्मिनल बिल्डिंग के भीतर आंगन जैसा बड़ा स्थान होगा। यहां यात्री बैठकर अपनी फ्लाइट का इंतजार कर सकेंगे। मेट्रो, हाई स्पीड रेल, बस सेवाएं, प्राइवेट पार्किंग के साथ विशाल क्षेत्र होगा। व्यावसायिक गतिविधियां भी होंगी।
रेस्टोरेंट और लाउंज होंगे। एयरपोर्ट तक पहुंचने के लिए हाइवे, मेट्रो, हाई स्पीड रेल आदि होंगे। यह एयरपोर्ट उत्तर भारत का मुख्य कारगो द्वार बनेगा। यहां परिवहन के विभिन्न सार्वजनिक और निजी माध्यमों के बीच सुगम कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। यहां एमआरओ (मेंटीनेंस, रिपयेरिंग और ओवरहालिंग) हब भी विकसित होगा। ताकि विमानों की मरम्मत हो सके। एयरपोर्ट के साथ ही यह भी विकसित किया जाएगा।
जेवर एयरपोर्ट में परियोजना स्थल के पेड़ों का ट्रांसप्लांट किया गया है। इन पेड़ों के जिए एक फॉरेस्ट पार्क विकसित किया जाएगा। इसके लिए 8 हेक्टेयर जमीन तैयार की गई है। यह यात्रियों और आगंतुकों को अपना खाली समय बिताने के लिए होगा। यह पर्यावरण के अनुकूल होगा।


