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भारतीय तटरक्षक बल की नई जेट्टी, तटीय सुरक्षा होगी और सशक्त

भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) के महानिदेशक परमेश शिवमणि ने केरल के विझिनजाम बंदरगाह पर एक नई समर्पित जेट्टी का उद्घाटन किया। 76.7 मीटर लंबा यह अत्याधुनिक बर्थ भारतीय तटरक्षक बल जहाजों की त्वरित तैनाती और वापसी सुनिश्चित करेगा

भारतीय तटरक्षक बल की नई जेट्टी, तटीय सुरक्षा होगी और सशक्त
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नई दिल्ली। भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) के महानिदेशक परमेश शिवमणि ने केरल के विझिनजाम बंदरगाह पर एक नई समर्पित जेट्टी का उद्घाटन किया। 76.7 मीटर लंबा यह अत्याधुनिक बर्थ भारतीय तटरक्षक बल जहाजों की त्वरित तैनाती और वापसी सुनिश्चित करेगा।

इस जेट्टी से तटीय निगरानी, खोज एवं बचाव, तस्करी विरोधी अभियान और मछली पालन सुरक्षा जैसी अभियानों की तत्परता में वृद्धि होगी। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक यह जेट्टी रणनीतिक रूप से अंतरराष्ट्रीय शिपिंग लेनों से मात्र 10 समुद्री मील की दूरी पर स्थित है। यह विझिनजाम अंतरराष्ट्रीय ट्रांसशिपमेंट डीपवाटर पोर्ट के समीप है, जिससे यह भारत के दक्षिण-पश्चिमी तट की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इस अवसर पर भारतीय तटरक्षक क्षेत्र (पश्चिम) के कमांडर, महानिरीक्षक भीष्म शर्मा, विझिनजाम इंटरनेशनल सी-पोर्ट लिमिटेड, केरल सरकार, केरल समुद्री बोर्ड, राज्य पुलिस, पोर्ट प्राधिकरण, भारतीय सेना, अदाणी पोर्ट्स प्रा. लि. और मत्स्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।


महानिदेशक परमेश शिवमणि ने इस नई सुविधा को तटीय सुरक्षा संरचना को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने इस क्षेत्र में त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता सुनिश्चित करने की दिशा में इसे मील का पत्थर करार दिया।

गौरतलब है कि समुद्र में भारत की शक्ति में लगातार इजाफा हो रहा है। जहां एक ओर भारतीय तटरक्षक बल को यह नई जेट्टी की सुविधा मिली है वहीं भारतीय नौसेना को उसका पहला एंटी-सबमरीन वॉरफेयर - शैलो वाटर क्राफ्ट (युद्धपोत) मिलने जा रहा है। नौसेना यह युद्धपोत ‘आईएनएस अर्नाला’ 18 जून को विशाखापत्तनम के नेवल डॉकयार्ड में औपचारिक रूप से नौसेना में शामिल किया जाएगा। यह ऐतिहासिक समारोह चीफ ऑफ डिफेन्स स्टाफ, जनरल अनिल चौहान की अध्यक्षता में आयोजित होगा।


रक्षा मंत्रालय के मुताबिक ‘आईएनएस अर्नाला’ 77 मीटर लंबा युद्धपोत है जो डीजल इंजन-वॉटरजेट संयोजन द्वारा संचालित है। इस विशेष तकनीक से संचालित यह भारतीय नौसेना का सबसे बड़ा युद्धपोत है। जहाज को पानी के नीचे निगरानी रखने, तलाश और बचाव कार्यों और कम तीव्रता वाले समुद्री संचालन (एलआईएमओ) के लिए तैयार किया गया है। यह समुद्री जहाज तटीय जल में एंटी-सबमरीन वारफेयर संचालन में सक्षम है। साथ ही यह माइन बिछाने की उन्नत क्षमता से भी युक्त है। इस एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट पोत के नौसेना में शामिल होने से भारतीय नौसेना की उथले पानी की पनडुब्बी रोधी युद्धक क्षमता में बढ़ोतरी होगी।

1490 टन वजनी इस युद्धपोत में डीजल इंजन-वॉटरजेट संयोजन द्वारा संचालन की सुविधा है। यह इसे, इस तकनीक से संचालित सबसे बड़ा भारतीय युद्धपोत बनाता है। इस युद्धपोत के निर्माण में 80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री का प्रयोग किया गया है।


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