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लाइबेरियाई जहाज के कोच्चि तट पर डूबने के बाद हाई अलर्ट पर भारतीय तटरक्षक बल

कोच्चि तट के पास रविवार को लाइबेरिया का कंटेनर जहाज एमएससी एल्सा 3 (आईएमओ नंबर 9123221) सुबह करीब 7:50 बजे डूब गया। जहाज डूबने के बाद भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) हाई अलर्ट पर है

लाइबेरियाई जहाज के कोच्चि तट पर डूबने के बाद हाई अलर्ट पर भारतीय तटरक्षक बल
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नई दिल्ली। कोच्चि तट के पास रविवार को लाइबेरिया का कंटेनर जहाज एमएससी एल्सा 3 (आईएमओ नंबर 9123221) सुबह करीब 7:50 बजे डूब गया। जहाज डूबने के बाद भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) हाई अलर्ट पर है।

लाइबेरियाई जहाज के सभी (24) चालक दल के सदस्यों को सुरक्षित बचा लिया गया। इनमें से 21 को भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) और तीन को भारतीय नौसेना के जहाज आईएनएस सुजाता ने बचाया। चालक दल में एक रूसी (कप्तान), दो यूक्रेनी, एक जॉर्जियाई और 20 फिलीपीन नागरिक शामिल थे।

24 मई को दोपहर 1:25 बजे एमएससी एल्सा 3 से गड़बड़ी की सूचना मिली, जहाज कोच्चि से करीब 38 नॉटिकल मील दूर था। जहाज 26 डिग्री दाईं ओर झुक गया था और इसके डूबने का खतरा था। शिपिंग कंपनी चालक दल से संपर्क नहीं कर पाई और उसने आईसीजी से मदद मांगी।

आईसीजी के कोच्चि स्थित समुद्री बचाव उप-केंद्र ने तुरंत एक डोर्नियर विमान भेजा, जिसने हवाई निगरानी कर जहाज का पता लगाया। विमान ने दो लाइफराफ्ट की पहचान की, जिनमें क्रमशः पांच और चार लोग जीवित बचे थे। बचाव के लिए अतिरिक्त लाइफराफ्ट हवा से गिराए गए। बाद में आईसीजी के जहाज अर्नवेश ने 12 और लोगों को बचाया, जबकि नौ अन्य को एमवी हान यी ने सुरक्षित निकाला।

आईएनएस सुजाता भी इस ऑपरेशन का हिस्सा था।

लाइबेरिया का कंटेनर जहाज एमएससी एल्सा 3 शुक्रवार को विशाखापत्तनम बंदरगाह से कोच्चि के लिए रवाना हुआ था। 24 मई को रात 10 बजे तक केवल तीन चालक दल के सदस्य- कप्तान, चीफ इंजीनियर और सेकंड इंजीनियर जहाज पर बचाव कार्यों के लिए मौजूद थे। लेकिन, 25 मई की सुबह जहाज पलट गया और डूब गया।

जहाज पर 640 कंटेनर थे, जिनमें से 13 में खतरनाक सामग्री और 12 में कैल्शियम कार्बाइड था। इसके अलावा, जहाज में 84.44 मीट्रिक टन डीजल और 367.1 मीट्रिक टन फर्नेस ऑयल था।

भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) ने अपने प्रदूषण नियंत्रण जहाज 'सक्षम' को तैनात किया है और तेल रिसाव का पता लगाने के लिए उन्नत तकनीक वाले विमानों का उपयोग कर रहा है। अभी तक तेल रिसाव की कोई सूचना नहीं मिली है।

केरल की पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील और पर्यटन के लिए महत्वपूर्ण तटरेखा को देखते हुए आईसीजी पर्यावरणीय प्रभावों पर कड़ी नजर रखे हुए है।


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