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झुलसती गर्मी से बचाने के लिए कदम उठाते भारतीय शहर

अहमदाबाद में गर्मी अपने चरम पर है, लोगों को परेशान करने वाली गर्मी से बचाने के लिए प्रशासन ने कुछ कदम उठाए हैं

झुलसती गर्मी से बचाने के लिए कदम उठाते भारतीय शहर
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अहमदाबाद में गर्मी अपने चरम पर है, लोगों को परेशान करने वाली गर्मी से बचाने के लिए प्रशासन ने कुछ कदम उठाए हैं.

अहमदाबाद के रहने वाले 20 साल के मयंक यादव के लिए भीषण गर्मी में भीड़ भरी बस में यात्रा करना किसी भट्टी में बैठने जैसा हो सकता है. लेकिन राहत तब मिलती है जब वह बस स्टॉप पर उतरते हैं, जहां ऐसी घास लगी है जो ठंडक का एहसास दिलाती है. एयर कूलर में इस्तेमाल होने वाली घास पर लगातार पानी डाला जाता है, जिससे बस स्टॉप पर बस का इंतजार कर रहे यात्रियों को थोड़ी सुकून मिलती है. मयंक कहते हैं, "हर कोई गर्मी से परेशान है. मुझे उम्मीद है कि प्रशासन पूरे शहर में ऐसा और भी करेगा."

सोना छोड़ कर एसी खरीद कर रहे हैं लोग

हर साल बढ़ रही गर्मी

कुछ साल पहले तक तापमान का इतना बढ़ना आम नहीं था. जलवायु परिवर्तन के बीच अब गर्मी का मौसम हर साल नए कीर्तिमान बना रहा है. हर नया साल बीते सालों से ज्यादा गर्म होता जा रहा है. मसलन, बीते सालों से तुलना करें तो 2025 में करीब तीन हफ्ते में ही तापमान प्रचंड होने लगा. अहमदाबाद में पहले ही तापमान 42 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया. जिसके चलते शहर के अधिकारियों ने लोगों को घर के अंदर रहने और हाइड्रेटेड रहने की सलाह दी है.

अहमदाबाद में 2010 में आई भीषण गर्मी की लहर में 1,300 से ज्यादा लोगों की मौत के बाद शहर और स्वास्थ्य अधिकारियों ने दक्षिण एशिया की पहली हीट एक्शन योजना बनाई.

2013 में शुरू की गई इस योजना में अस्पतालों, सरकारी अधिकारियों और नागरिकों के लिए ऐसी रणनीतियां शामिल हैं, जिनसे तापमान के मानवीय सहनशीलता से परे बढ़ने पर तुरंत प्रतिक्रिया की जा सके. सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि इससे हर गर्मियों में सैकड़ों लोगों की जान बचाने में मदद मिली है.

गर्मी से बचाने के लिए स्प्रिंकलर

शहर के अधिकारियों ने जलवायु और स्वास्थ्य शोधकर्ताओं की मदद से गर्मी से सबसे ज्यादा प्रभावित लोगों की मदद के लिए दो सरल लेकिन प्रभावी समाधान लागू किए हैं. शहर के सैकड़ों मकानों की छतों पर परावर्तक, सफेद रंग से रंगा गया, जिससे घर के अंदर के तापमान को कम कर दिया है. हाल ही में, शहर ने एक बस स्टॉप पर बांस की चटाइयां और पानी के छिड़काव वाले उपकरण लगाए हैं ताकि यात्रियों को धूप और गर्मी से राहत मिल सके. अधिकारियों ने कहा कि वे शहर के अन्य बस स्टॉप पर भी इस आइडिया को लागू करने की योजना बना रहे हैं.

शहर के गरीब मोहल्लों में सैकड़ों टिन की छत वाले घरों को परावर्तक पेंट से रंगा गया है, जो घर के अंदर के हिस्से को ठंडा रखने में मदद करता है. इन मोहल्लों के लोगों का कहना है कि छतों पर रंग-रोगन होने से पहले उनके घर इतने गर्म होते थे कि वे अपना ज्यादातर समय बाहर किसी भी छाया में बिताते थे.

डिलीवरी वैन के ड्राइवर का काम करने वाले आकाशभाई ठाकोर कहते हैं, "पहले घर के अंदर सोना वाकई मुश्किल था." वे अहमदाबाद में अपनी पत्नी और तीन महीने के बच्चे के साथ रहते हैं.

घर की छतों को पेंट करना एक वैश्विक वैज्ञानिक परीक्षण का हिस्सा है. परीक्षण का मकसद यह जानना है कि विकासशील देशों में घर के अंदर की गर्मी लोगों के स्वास्थ्य और आर्थिक परिणामों को कैसे प्रभावित करती है और शुरुआती नतीजे उम्मीद भरे रहे हैं.

ठाकोर ने कहा, "छत को रंगने के बाद घर बहुत ठंडा हो गया है, खासकर रात में."

इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही भारतीय लोक स्वास्थ्य संस्थान, गांधीनगर की प्रिया भावसार ने बताया कि ठाकोर जैसे लोग अत्यधिक गर्मी के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, क्योंकि उनके घर इन्सुलेशन से लैस नहीं होते हैं और चूंकि उनमें से ज्यादातर दिहाड़ी मजदूरी करते हैं, इसलिए उन्हें मौसम की परवाह किए बिना काम पर जाना पड़ता है.

भावसार ने बताया कि कम लागत वाले समाधान शहर के उन हजारों लोगों के लिए एकमात्र राहत हो सकते हैं जो एयर कंडीशनर खरीदने की क्षमता नहीं रखते है. ठाकोर के ही मोहल्ले में रहने वाले और पास के ही कपड़ा फैक्ट्री में काम करने वाले वीर वंजारा कहते हैं कि गर्मी के कारण उनका काम करना कठिन हो जाता है क्योंकि उनकी फैक्ट्री में वेंटिलेशन की सुविधा नहीं है.

प्रोजेक्ट के तहत उनका घर भी पेंट किया गया. वंजारा कहते हैं, "हमारे घर के अंदर शाम और रात पहले से कहीं ज्यादा ठंडी रहती हैं."

अहमदाबाद नगर निगम के डॉ. तेजस शाह कहते हैं कि गर्मी शहर की सबसे बड़ी समस्या है और लगातार भीषण गर्मी के दिनों की संख्या बढ़ती जा रही है. शहर के हीट एक्शन प्लान को देखने वाले डॉ. शाह कहते हैं, "हम जलवायु परिवर्तन के दौर में हैं और इसका असर पहले ही दिखने लगा है."

डॉ. शाह और शहर के अन्य अधिकारियों ने कहा कि गर्मी की शुरुआत एक कठिन समय बन गई है और ठंडी छतों और ठंडे बस स्टॉप जैसे प्रयासों से गर्मी से संबंधित बीमारियों और मौतों में कमी आ रही है.


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